5.64 एकड़ में बनने वाले प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण में 276 निजी और व्यवसायिक भवन आएंगे जद में
मथुरा। विश्व प्रसिद्ध वृन्दावन के श्री बिहारीजी मंदिर के प्रस्तावित कोरीडोर के मामले में आगामी 18 सितम्बर को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान उ.प्र. सरकार द्वारा प्रभावी जोरदार पैरवी करने की मंशा जाहिर की गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए बहुत ही गंभीर नजर आ रहे हैं। बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण के लिए 276 मकान व दुकान अधिग्रहण शासन द्वारा किया जाएंगा। इस मामले में याचिकाकर्ता अनन्त शर्मा के अलावा जिला प्रशासन मथुरा और मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे।
पिछले साल जन्माष्टमी पर मंगला आरती के दौरान हुए दर्दनाक हादसे से देश-प्रदेश की सरकार स्तब्ध रह गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए अपार भीड़ के आगमन को देखते हुए श्री बिहारी मंदिर का उज्जैन, काशी की भांति कोरीडोर बनाने की मंशा व्यक्त की थी। तभी से जिला प्रशासन के साथ उ.प्र. बृज तीर्थ विकास परिषद और मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण कॉरीडोर का खाका खींचने में लग गया था। वृन्दावन का गोस्वामी पक्ष कतई कॉरीडोर निर्माण के पक्ष में नही है। शासन की कॉरीडोर के पक्ष प्रबल इच्छा देखते हुए गोस्वामी पक्ष ने हाईकोर्ट में वाद दायर किया, इधर समाजसेवी अनन्त शर्मा भी हाईकोर्ट पहुंच गये। बीते कई माह से लगातार सुनवाई और डेट पड रही है।
लखनऊ में रविवार को हुई उच्चस्तरीय बैैैैैैैैैैठक में मुख्यमंत्री ने प्रस्तावित कॉरीडोर की रूपरेखा की समीक्षा करते हुए बैठक में मौजूद उ.प्र. बृज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, मुख्यकार्यपालक अधिकारी नगेन्द्र प्रताप, जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह को निर्देश दिए कि हाईकोर्ट में 18 सित. को होने वाली सुनवाई में कॉरीडोर को लेकर प्रभावी पैरवी की जाये। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर में भीड़ के कारण होने वाली घटनाओं के लिए कौन जिम्मेवार है इसकी तह में जाना भी जरूरी है। हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में इस बार प्रदेश के चीफ स्टैडिंग कौसिंल सरकार का पक्ष रखेंगे। 1938 में निचली अदालत द्वारा दिये गये निर्णय से भी कोर्ट को अवगत कराया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन व उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे हाईकोर्ट में बांकेबिहारी कॉरिडोर निर्माण में प्रभावी पैरवी करें। साथ ही मंदिर में आए दिन होने वाली घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार हैं उसके खिलाफ कार्यवाही करें। वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट भी बांके बिहारी मंदिर में होने वाली घटनाओं को लेकर काफी सख्त है। हाईकोर्ट के द्वारा 18 सितम्बर को इस प्रकरण में सुनवाई होगी। उसकी दौरान कॉरिडोर निर्माण का प्रस्ताव शासन द्वारा रखा जाएगा। उसके बाद तय होगा कि बांके बिहारी मंदिर का कॉरिडोर किस प्रकार का बनेगा।
लखनऊ में ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, सीईओ नगेन्द्र प्रताप और जिला अधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री के सामने एक प्रजैंटेशन रखा। जिसमें बताया गया कि 5.64 एकड़ में बनने वाले बांके बिहारी कॉरिडोर का निर्माण 500 करोड़ रुपये की लागत से होगा जिसमें 149 आवासीय भवन, 66 व्यवसायिक भवन, 57 मिश्रत भवनों का अधिग्रहण होगा। इसमें यह भी बताया गया कि मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए क्या इंतजाम किए जायेंगे। इस प्रस्तुतिकरण से मुख्यमंत्री संतुष्ट नजर आए। अब को शासन व जिला प्रशासन की इस प्लान में सबसे ज्यादा महत्व भीड़ नियंत्रण पर दिया गया है। क्योंकि सामान्य दिनों में यहां बताया गया कि 50 से 60 हजार लोग आते हैं जबकि पर्वों पर यह भीड़ कई गुना बढ़ जाती है।