“गर्माया रेल बोर्ड द्वारा जारी जनविरोधी नीति का मामला, पूर्ववत व्यवस्था लागू करने पर अड़े पत्रकारगण”
वाराणसी। रेल बोर्ड के अफसरों ने अपनी तानाशाही जनविरोधी नीति के चलते मौजूदा सरकार की छवि धूमिल करने में लगे हैं। पत्रकारों में इस नीति को लेकर मामला गर्माया हुआ है। वहीं इस मसले के विरोध में उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद के सचिव बलराम शुक्ला के नेतृत्व में पत्रकारों का एक प्रतिनधि मंडल पीएमओ कार्यालय तक पहुंचा और ज्ञापन सौंपकर पूर्ववत व्यवस्था लागू करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि रेल बोर्ड द्वारा 01 सितम्बर 2023 को जारी विज्ञापन नीति में अनेक प्रतिबंध लगा दिए गए है । अभी तक रेल बोर्ड अपने जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से स्थानीय विज्ञापन एजेन्सियों से विज्ञापन की डिजाइन बनवाकर स्थानीय व बाहरी समाचार पत्रों में प्रकाशित कराता था। अवकाश के दिनों या कार्यालय समय के बाद भी तत्काल निविदाओं को समाचार पत्र में अनुरोध करके प्रकाशित कराता था जिससे समय से व सुचारू रूप से कार्य चल रहा था। अचानक रेल बोर्ड द्वारा जारी विज्ञापन नीति में अब रेलवे के विज्ञापन डीएवीपी द्वारा प्रकाशित कराये जाने की बात की गई है। डीएवीपी वैसे ही छोटे एवम् मंझोले अखबारों को विज्ञापन नहीं देता और तत्काल निर्देश भी दे दिया गया है जो सभी रेलवे को प्राप्त हो गया है। उक्त निर्देश से स्थानीय मंझोले व छोटे समाचार पत्र के लाखों-करोड़ों लोगों के सामने बेरोजगारी का संकट उत्पन्न हो जायेगा।
बता दें कि उक्त सन्दर्भ में कई छोटे समाचार पत्रों के संपादकों ने एवं पत्रकार बंधुओं का डेलिगेशन प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रभारी शिवशरण पाठक पीएमओ संसदीय क्षेत्र वाराणसी एवं वाराणसी कैंट से पीएमओ आफिस में विधायक सौरभ श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा। कार्यालय प्रभारी व विधायक द्वारा सम्बंधित मामले पर आश्वासन देते हुए कहा कि उनकी बात प्रधानमंत्री व रेल मंत्री तक लिखित रूप से पहुंचाई जाएगी और पूर्ववत व्यवस्था लागू कराने पर विचार विमर्श किया जायेगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश पत्रकार कल्याण परिषद सचिव बलराम शुक्ला के नेतृत्व में प्रवक्ता अरुण कुमार सोनकर, उमेश चंद्र श्रीवास्तव, राजीव कुमार सिंह, विनय श्रीवास्तव, अरविंद पांडेय, नागेश मिश्रा, संजय शर्मा, इजलाल अहमद, मृत्युंजय सिंह, शोभित वर्मा, अमर सिंह, आदि बनारस जिले के दर्जनों पत्रकार बंधु मौजूद रहे।