वृन्दावन। वृन्दावन शोध संस्थान के 56 वें स्थापना दिवस के मौके पर विश्व प्रसिद्ध कथक नृत्यँगना गीतांजलि शर्मा एवं उनके समहू द्वारा भव्य कथक नृत्य का मंचन किया गया। इस मौके पर सर्वप्रथम गीतांजलि शर्मा व उनके समहू गीतांजलि इंटरनेशनल फाउंडेशन की बालिकाओं ने विभन्न प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन भाव विभोर कर दिया।
कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति शिव पंचाक्षर ( शिव स्तुति) के साथ आरंभ हुआ। अगली प्रस्तुति शुद्ध कथक नृत्य जो की धमार ताल (१४) मात्रा में निबध्य धमार ताल नृत्य रचनाएं गुरु उमा डोगरा जी द्वारा रचित और कोरियोग्राफी गीतांजलि शर्मा तथा संगीत श्री मनोज देसाई द्वारा किया गया। उसके बाद तीन ताल में तराना प्रस्तुत किया। संगीत व गायन श्री शैलेन्द्र भारती जी द्वारा किया गया है। पढंत एवं कोरियोग्राफ गुरु उमा डोगरा जी द्वारा किया गया है। अंतिम प्रस्तुति में मधुराष्टकम् प्रस्तुत किया गया
बल्लभाचार्य जी की कालजई रचना मधुराष्टकम की प्रस्तुति में मनभावन दृश्यों एवम कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का मंचन किया जाएगा। कृष्ण जन्म, कालिया मर्दन, माखन चोरी, द्रौपदी चीर हरण, गिरिराज पर्वत लीला, मनिहारी लीला, महारास, इत्यादि कथक शैली में प्रस्तुत किया गया।
‘मधुराष्टकम्’ बहुत ही अनूठी रचना है। श्रीवल्लभाचार्य भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधारस्तंभ एवं पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे। वर्तमान में इसे वल्लभसम्प्रदाय या पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है। श्रीवल्लभाचार्य ने अनेक ग्रंथों, नामावलियों, एवं स्तोत्रों की रचना की है, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित ये सोलह सम्मिलित हैं, जिन्हें ‘षोडश ग्रन्थ’ के नाम से जाना जाता है। इन्हीं रचनाओं में से एक है ‘मधुराष्टकम”
इस संरचना को संगीत दिया है श्री प्रवीण डी राव ने और कोरियोग्राफी स्वयं गुरु गीतांजलि शर्मा द्वारा की गई है। गीतांजलि इंटरनेशनल फाउंडेशन के कलाकार गार्गी वशिष्ठ, वीनस शर्मा,भव्या, तेजस्विनी,नेहा त्रिपाठी आदि ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।