यमुना एक्सप्रेस वे पर 1 घंटे चला पैदल मार्च यातायात रहा अवरूद्ध
यमुना एक्सप्रेस वे पर पहुंचते ही पुलिस एवं किसानों में धक्का-मुक्की
होशियार सिंह
बाजना। भारतीय किसान कल्याण समिति के बैनर तले क्षेत्रीय समस्याओं,बिगड़ती कानून व्यवस्था और केंद्र सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ बनाए गए तीन कानूनों के खिलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन का सांतवे दिन जैसे ही किसान यमुना एक्सप्रेस वे पर पहुंचे तो पुलिस प्रशासन उनकी यमुना एक्सप्रेस पर पहुंचते ही झड़प हो गई। किसानों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन पुलिस नाकाम साबित हुई।
इंस्पेक्टर नौहझील लोकेश भाटी और एसपी ग्रामीण श्री श्चंद ने कड़ी मशक्कत की लेकिन हजारों किसानों की भीड़ ने रामबाबू कटैलिया के नेतृत्व में एक्सप्रेस वे पर लगभग एक घंटे तक पैदल मार्च किया। जिसमें यातायात व्यवस्था भी अवरुद्ध होती नजर आई। आखिर में किसानों की भीड़ ने यमुना एक्सप्रेस वे पर भी जाम लगा दिया जिसमें सभी किसान यमुना एक्सप्रेस वे पर ही बैठे गये। वहीं वमुश्किल प्रशासन की अपील पर किसानों ने जाम खोला।
भारतीय किसान कल्याण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामबाबू सिंह कटैलिया ने कहा आज धरने का सातवां दिन था और प्रशासन हमारी आवाज को दबाना चाहता था लेकिन आज हमने प्रशासन को अपनी ताकत का एहसास कराया और हजारों किसानों के साथ एक्सप्रेस वे पर पैदल शांति मार्च किया। धरतीपुत्र संघर्ष के लिए तैयार हैं। एक बार फिर प्रशासन ने हमको आंदोलन के लिए मजबूर किया। किसान मजदूर भुखमरी के कगार पर है और केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आम आदमी को लॉलीपॉप दिए हुए हैं हम अपने हक के लिए लड़ना जानते हैं। क्षेत्र की कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है पुलिस प्रशासन मनमानी पर उतारू है। हम जब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे जब तक पचहरा प्रकरण में निष्पक्ष कार्यवाही नहीं हो जाती प्रशासन क्षेत्रीय विधायक के दबाव में आकर के आरोपी तहसीलदार को बचा रहा है जब तक तहसीलदार पर कार्रवाई नहीं होगी अनिश्चितकालीन धरना चलता रहेगा।
उपाध्यक्ष जय वीर सिंह आर्य ने अपने संबोधन में कहा समय के रहते हुए हम ना समझे तो जय किसान विरोधी सरकार अपने इस काले कानून से हमें बर्बाद कर देगी। आज हमें एकता दिखाने का समय है हमें अपनी एकता से और ताकत से अपना हक प्राप्त करेंगे। धरना के सातवें दिन हजारों की संख्या में किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर संजीव, सुधीर प्रधान, विजय पाल सिंह, मास्टर रोशन सिंह, मनीष जिंदल, जयवीर सिंह, ठाकुर शैलेंद्र सिंह, सतवीर सिंह, लोकेंद्र नरवर, प्रेमपाल सिंह, बिजेंद्र प्रधान रायपुर, वीर सिंह शंकर गढ़ी, मास्टर हजारी लाल के साथ सैकड़ों किसान मौजूद रहे।