मथुरा। जनता की सुविधा और त्वरित समस्या समाधान के लिए प्रदेश सरकार ने पुलिस, प्रशासनिक और फायर सर्विस अधिकारियों को सीयूजी (क्लोज़्ड यूज़र ग्रुप) नंबर उपलब्ध करा रखे हैं। व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि पदस्थापन या स्थानांतरण के बावजूद अधिकारी का संपर्क नंबर वही रहे, जिससे जनता बिना किसी परेशानी के सीधे संबंधित अधिकारी से संपर्क कर सके लेकिन मथुरा में हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।
शहरवासियों का आरोप है कि अधिकांश अधिकारी अपने सीयूजी नंबर उठाते ही नहीं। कई बार लगातार कॉल करने के बावजूद फोन नहीं उठाया जाता, जिससे आम जनता को गंभीर परिस्थितियों में भी राहत नहीं मिल पाती। हालाँकि सरकार ने इस संबंध में कई बार सख्त निर्देश जारी किए लेकिन उन आदेशों का जमीनी स्तर पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता।
दिलचस्प बात यह है कि यदि डायल 112 पर कॉल किया जाए तो पुलिस तुरंत सक्रिय हो जाती है क्योंकि कॉल सीधे लखनऊ कंट्रोल रूम में रिसीव होता है और वहां से जिले व संबंधित थाने को सूचना तत्काल भेजी जाती है। घटना के निस्तारण की रिपोर्ट भी कंट्रोल रूम को भेजनी होती है, इसलिए कार्रवाई सुनिश्चित होती है।
तब बड़ा सवाल यह है—
जब जनता की समस्याओं का समाधान डायल 112 के माध्यम से ही हो रहा है, तो पुलिस अधिकारियों को दिए गए सीयूजी नंबर का उद्देश्य क्या है? क्या सीयूजी नंबर महज़ औपचारिकता बनकर रह गए हैं? जनता का कहना है कि यदि इन नंबरों का उपयोग ही नहीं किया जाना है, तो सरकार को इस व्यवस्था पर पुनर्विचार करना चाहिए। अन्यथा, अधिकारी सीयूजी नंबर पर कॉल रिसीव न करने पर जवाबदेह ठहराए जाने चाहिए। आम जनता ने जिलाधिकारी और एसएसपी से अनुरोध किया है कि वह अपने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को सख्त ताकीद कर दे कि सीयूजी फ़ोन पर आने वाली सभी कॉल अवश्य उठनी चाहिए।
















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