भारत में अब डिजिटलाइजेशन के चलते फल-सब्जी, दूध-राशन इत्यादि खरीदने से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक सब कुछ कैश पेमेंट के बिना आसानी से खरीदा-बेचा जा रहा है। डिजिटलाइजेशन ने जिंदगी को इतना आसान बना दिया है कि अब बैंक की लंबी लाइन में लगे बिना बिजली-पानी-बीमा का भुगतान घर बैठे हो रहा है और एक रुपए से लेकर लाखों तक का डिजिटल ट्रांजैक्शन महज एक क्लिक पर हो रहा है। लेकिन वहीं साइबर अपराधों में हो रही बढ़ोत्तरी ने लोगों के बैंक खातों में सेंध लगाना भी शुरू कर दी है। पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के पालमपुर की एक महिला से 20 लाख 38 हजार रुपए की ठगी का मामला साइबर थाना धर्मशाला में दर्ज हुआ है, जबकि हिमाचल में पिछले साढ़े सात महीनों में 44 करोड़ रुपए के फाइनांशियल फ्रॉड के मामले दर्ज हुए हैं। इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के अनुसार अप्रैल 2024 तक 740957 से ज्यादा साइबर फ्रॉड की शिकायतें पूरे भारतवर्ष में दर्ज की गई हैं, जबकि जनवरी से अप्रैल के बीच 1750 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की गई।
केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने का फैसला किया है। साथ ही विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए सीएफएमसी बनाया गया है। इसी तरह से समन्वय प्लेटफार्म साइबर अपराध के आंकड़े संग्रहित करने, साइबर अपराध का मानचित्र बनाने, उनका विश्लेषण करने के साथ ही साइबर अपराध के विरुद्ध काम करने वाली एजेंसियों के लिए वन स्टाप पोर्टल के रूप में काम करेगा। साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए साइबर कमांडो तैनात किए जाएंगे। विशेष रूप से प्रशिक्षित साइबर कमांडो साइबर धोखाखड़ी करने वालों के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कर सकेंगे। गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने साइबर कमांडो के साथ-साथ साइबर फ्राड मिटिगेशन सेंटर (सीएफएमसी), साइबर क्राइम की जांच में जुटी एजेंसियों के लिए समन्वय प्लेटफार्म और संदिग्ध साइबर अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने की नई योजनाओं को लांच किया है।
भारतीय कानून के तहत, साइबर अपराधों से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 (आईटी अधिनियम) के तहत निपटा जाता है। आईटी अधिनियम के तहत साइबर अपराध करने के लिए दंड का भी प्रावधान है। जैसे हैकिंग के लिए आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत हैकिंग की सजा तीन साल तक की कैद या पांच लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों है। पहचान की चोरी आईटी अधिनियम की धारा 66 सी के तहत एक अपराध है। आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण अपराध है। साइबर स्टाकिंग भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354-डी और आईटी अधिनियम की धारा 66-ई के तहत एक अपराध है। यद्यपि इंटरनेट के आगमन ने हमारे जीवन में नवीनतम सुविधाओं का संसार तो खोल दिया है, लेकिन ऑनलाइन धोखाधड़ी के द्वार भी खोल दिए हैं, जो आज की डिजिटल दुनिया में एक गंभीर चिंता का विषय है। ऑनलाइन धोखाधड़ी में आपराधिक गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल है जो वित्तीय लाभ के लिए व्यक्तियों या संगठनों का शोषण करती है। इन गतिविधियों में फिशिंग, पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी और ऑनलाइन घोटाले शामिल हैं।
ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बीते दिनों नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल लॉन्च किया है। ठगी से बचने के लिए जरूरी है कि यदि किसी भी व्यक्ति को किसी अज्ञात व्यक्ति/नंबर से किसी सोशल मीडिया व्हाट्सएप, फेसबुक या टेलीग्राम के ग्रुप में जोड़ा जाता है तो उस स्थिति में तुरंत उस ग्रुप को छोड़ दें। ऑनलाइन मनी इन्वेस्ट करते समय ऐप या वेबसाइट के बारे में क्रॉस चेक जरूर करें। कर्ज देने वाले ऐप्स का इस्तेमाल न करें। इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते समय सतर्क रहें। उनकी विश्वसनीयता चेक करें। किसी अनजान नंबर पर ओटीपी या कोई निजी जानकारी शेयर न करें। फेसबुक, इंस्टाग्राम या वॉट्सऐप नंबर पर आने वाले किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।