नई दिल्ली । राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि चुनाव आयोग को ईवीएम के डेटा को कम से कम दो या तीन साल के लिए सुरक्षित रखने के निर्देश दिए जाएं। सिब्बल ने शीर्ष अदालत से यह अनुरोध भी किया है कि आयोग को मतगणना से पहले प्रत्येक चरण के मतदान के रिकॉर्ड की घोषणा करने के भी निर्देश दिए जाएं। ताकि कोई भी सदस्य अवैध रूप से निर्वाचित न हो।
डेटा का सुरक्षित रखने की आवश्यकता- कपिल सिब्बल
सिब्बल ने कहा कि अगर चुनाव आयोग द्वारा फॉर्म 17 सी (दर्ज किए गए वोटों का खाता) अपलोड नहीं किया जा सकता तो राज्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह जिम्मेदारी ली जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि ईवीएम का डेटा सुरक्षित रखने से यह पता चलेगा कि मतदान किस समय पर संपन्न हुआ और कितने वोट अवैध हैं। इससे यह भी पता चलेगा कि वोट किस समय डाले गए थे। इसलिए डेटा को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।
‘शीर्ष अदालत से चुनाव आयोग को निर्देश देने का आग्रह’
सिब्बल ने दावा किया कि चुनाव आयोग आमतौर पर इस डेटा को 30 दिन के लिए सुरक्षित रखता है। उन्होंंने इस बात पर जोर दिया कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। राज्यसभा सांसद ने कहा कि हमें यह भी जानने की भी आवश्यकता है कि मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ता है और जब संशोधित आंकड़े सामने आते हैं तो ये आंकड़े कैसे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा ‘हम चाहते हैं कि देश की शीर्ष अदालत इस बारे में चुनाव आयोग को निर्देशित करे।’
चुनाव आयोग ने क्या कहा था?
बता दें कि इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के मतदान के बाद 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर मतदान डेटा अपलोड करना अनुचित होगा। दरअसल शीर्ष अदालत में यह मांग गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने उठाई थी। चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से चुनाव की स्थिति बिगड़ सकती है।