मथुरा । जाड़े का मौसम होने के कारण जहां देश के विभिन्न भागों में होली मनाने के बारे अभी कोई सोच नही रहा है वहीं कान्हा की नगरी में होली का धूम धड़ाका गति पकड़ने लगा है। मन्दिरों मे तो होली वसंत से ही चल रही है जब विभिन्न मन्दिरों में होली का डाढ़ा गाड़ दिया जाता है और उसी दिन से गर्भगृह में श्यामाश्याम की गुलाल की होली के बाद रोज राजभोग सेवा में मन्दिरो के गर्भगृह से जगमोहन में मौजूद भक्तों में यही गुलाल प्रसाद स्वरूप डाला जाता है तथा अलग अलग तिथियों से मन्दिर के जगमोहन या चैक में होली के रसिया का गायन शुरू हो जाता है। रंग भरनी एकादशी से मन्दिरों मे श्यामसुन्दर और किशोरी जी रंग की होली खेलते हैं तथा भक्तों में भी यह रंग प्रसादस्वरूप पड़ता है।
ब्रजमंडल में रंग की होली की शुरुआत रमणरेती आश्रम की होली से होती है जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। मन्दिर के वरिष्ठ संत गोविन्दानन्द जी महराज ने बताया कि इसके अन्तर्गत पहले श्यामाश्याम की फूलों की होली होती है तथा बाद में गुलाल और टेसू के रंग की होली होती है। इस होली की विशेषता यह है कि इसमें ब्रज के महान संत कार्णि गुरूशरणानन्द महराज भी सम्मिलित होते हैं। यहां होली खेलने के बाद लोग यमुना में स्नान करते हैं और फिर आश्रम में ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस बार रमणरेती आश्रम की होली 14 मार्च को मनाई जाएगी।
गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर राजस्थान की सीमा पर पड़नेवाला श्रीनाथ जी मन्दिर ब्रज का एकमात्र मन्दिर है जहां पर श्यामाश्याम की गुलाल की होली तो वसंत से शुरू हो जाती है किंतु इस मन्दिर मे रंग की होली रंगभरनी एकादशी से शुरू नही होती। मन्दिर के प्रमुख चन्दू मुखिया ने बताया मन्दिर में केवल होली के दिन श्यामसुन्दर और किशोरी जी पहले टेसू के गुनगुने रंग से होली खेलते हैं बाद में यही रंग प्रसाद स्वरूप चांदी की पिचकारी से भक्तो पर डाला जाता है। इस मन्दिर मे रंग केवल राजभोग सेवा तक चलता है । शाम को ठाकुर का अनूठा श्रंगार होता है तथा इस श्रंगार को करने में सेवायत को कम से कम तीन चार घंटे लग जाते हैं।
नन्दबाबा मन्दिर के सेवायत आचार्य सुशील गोस्वामी के अनुसार वैसे ब्रज की होली में तेजी बरसाना की लठामार होली से होती है जो फाल्गुन शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। यह होली ब्रज की जीवन्त होली मानी जाती है तथा इसमें श्यामसुन्दर के सखा किशोरी जी की सहेलियों के नये कपड़ो पर रंग डालते हैं। गोपियां रंग डालने से उन्हें रोकती हैं तथा न मानने पर उन पर लाठी से प्रहार करती हैं। इस बार यह होली 18 मार्च को खेली जाएगी किंतु इसके एक दिन पहले ही लड्डू होली खेली जाएगी। 19 मार्च को नन्दगांव की लठामार होली खेली जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित रंगोत्सव ब्रज की होली का अब अटूट अंग बन गया है। उ0प्र0 ब्रज तीर्थ विकास परिषद ,पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश एवं जिला प्रशासन द्वारा आयोजित दो दिवसीय होली में ब्रज की विभिन्न होलियों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है । पर्यटन अधिकारी डी0के0 शर्मा के अनुसार इस बार इसकी व्यापक तैयारी की जा रही है। यह आयोजन 18 मार्च से शुरू होकर एक दिन बरसाना में तथा एक दिन नन्दगांव में होगा।
राधाबल्लभ मन्दिर के मुख्य सेवायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि 20 मार्च यानी रंगभरनी एकादशी से वृन्दावन की होली शुरू होती है इसमें राधाबल्लभ मन्दिर से श्यामसुन्दर किशोरी जी की सवारी निकलती है तथा वे ब्रजवासियों के साथ होली खेलने के लिए वृन्दावन की कुंज गलियों से गुजरते हैं। इसी दिन से वृन्दावन के सप्त देवालयों समेत व्रज के अन्य मन्दिरों मे ंरंग की होली की शुरूवात हो जाती है तथा इस दिन राधारमण मन्दिर में श्यामसुन्दर और किशोरी जी सोने की पिचकारी से रंग खेलते हैं।
नन्दगांव मन्दिर के प्रमुख सेवायत गोस्वामी ने बताया कि रंगभरनी एकादशी को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की होली होती है जिसमें लठामार होली से लेकर ब्रज की अन्य होलियों के जीवन्त दर्शन होते हैं। इसी दिन प्राचीन केशवदेव मन्दिर मल्लपुरा की भी लठामार होली खेली जाती है।इस बार यह होली20 मार्च को खेली जाएगी।
नन्दबाबा मन्दिर के सेवायत आचार्य के अनुसार ब्रज की होलियों के क्रम में 21 मार्च को गोकुल की छड़ीमार होली होगी तथा 24 मार्च को होलिका दहन के दिन मथुरा जिले की छाता तहसील के फालैन गांव में पंडा धधकती होली से निकलता है।25 मार्च को जहां सुबह रंग की होली होगी वहीं शाम को भगत सिंह पार्क में होली मिलन समारोह होगा। 26 मार्च को बल्देव में दाऊ जी मन्दिर का मशहूर हुरंगा होगा। इसी दिन छाता तहसील के जाव गांव का हुरंगा तथा 27 मार्च को बठैन गांव का हुरंगा खेला जाएगा। 24 मार्च को ही मुखराई गांव में चरकुला नृत्य होगा।इसके बाद अहमलकलां आदि गांवों में चरकुला नृत्य होगा। ब्रज की होली का समापन महाबन की छड़ी मार होली से होता है यह होली इस बार चैत्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यानी 31 मार्च को होगी। यह होली चैरासी खंभा मन्दिर के प्रांगण में होती है।
उत्तर को दक्षिण से जोड़नेवाले वृन्दावन के रंग जी मन्दिर में 1 अप्रैल को रंगनाथ भगवान की होली खेली जाएगी जो मन्दिर में आयोजित किये जानेवाले ब्रह्मोत्सव का प्रमुख अंग है। कुल मिलकार इसी के साथ ब्रज की मशहूर रंगारंग होली का समापन हो जाता है।