-सनत जैन-
2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित 4 सांसदों को विधायक की टिकट दी है। भारतीय जनता पार्टी ने 39 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की है। इस सूची के जारी होने के बाद प्रदेश की राजनीति में हड़कंप की स्थिति मच गई है। भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलदस्ते को विधानसभा की टिकट दी है। इसके अलावा केंद्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद राकेश सिंह, सांसद गणेश सिंह उदय प्रताप सिंह, सुश्री रीति पाठक को भी विधानसभा चुनाव की टिकट दी गई है। तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा सांसदों को बड़ी संख्या में विधानसभा के चुनाव की टिकट देने के बाद, भारतीय जनता पार्टी द्वारा यह कहा जा रहा है कि जिन सीटों में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पराजय मिली थी। उन सीटों को जीतने की जिम्मेदारी भाजपा के कद्दावर नेताओं को दिया गया है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को घेरने की तैयारी की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस की परंपरागत और चुनौती वाली सीटों को इस बार हर हालत में जीतना चाहती है। इसके लिए भाजपा ने अपने दिग्गजों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया है। पिछले कई वर्षों से नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और पहलाद पटेल को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया जा रहा था। भारतीय जनता पार्टी ने तीन प्रमुख नेताओं को विधानसभा चुनाव की टिकट देने से भाजपा में सनसनी फैल गई है। बुदनी विधानसभा सीट को होल्ड पर रखा गया है। जिसके कारण भाजपा के अंदर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। चुनाव के बाद शिवराज सिंह मुख्यमंत्री नहीं होंगे? भारतीय जनता पार्टी यदि सत्ता में आएगी तो नए चेहरे के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और पहलाद पटेल मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार होंगे। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को विधानसभा के चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया है। उनके तीन समर्थकों को भी टिकट दी गई है। भारतीय जनता पार्टी की दूसरी 39 प्रत्याशियों की सूची ने मध्य प्रदेश की राजनीति में उबाल ला दिया है। एक तरफ कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी। कई कांग्रेस के दिग्गजों को अपने ही चुनाव क्षेत्र में फंसकर रह जाना पड़ेगा। वही़ दूसरी सूची के घोषित होने के बाद, यह भी संदेश जा रहा है, कि भारतीय जनता पार्टी की स्थिति विधानसभा चुनाव में काफी कमजोर है। जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी को अपने तीन केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारना पड़ रहा है। संसद में महिला आरक्षण बिल पास हो गया है। महिलाओं की टिकट भागीदारी को लेकर चुनाव में बड़ी चर्चा हो रही है। 2 पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती 33 फीसदी महिलाओं उसमें 50 फीसदी पिछड़े वर्ग की महिलाओं को टिकट देने की मांग कर रही है। भारतीय जनता पार्टी ने 39 प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है। उसमें 6 महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। सांसद रीती पाठक, पूर्व मंत्री इमरती देवी, ज्योति डेहरिया, गंगाबाई उइके, नंदा ब्राम्हणे तथा संगीता चोरल को टिकट दी गई है। केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव मैदान में उतरने की बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम जनों के बीच में देखने को मिल रही है। भोपाल में प्रदेश भर के भाजपा कार्यकर्ताओं का सम्मेलन बुलाया गया था। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने 39 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी करके सभी को चौंका दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा था। भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। दूसरी सूची में जिन प्रमुख नेताओं को टिकट दी गई है। वह मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में हमेशा से जाने जाते रहे हैं। इससे एक नए असमंजस की स्थिति भाजपा में पैदा हो गई है। जो विधानसभा चुनाव को निश्चित रूप से प्रभावित करने वाली होगी। भारतीय जनता पार्टी ने अपने कद्दावर नेताओं को विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा है। उससे स्पष्ट है, कि कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव प्रचार के लिए अपने-अपने गढ़ में ही फंसकर रह जाएंगे। इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी की रणनीति है, कांग्रेस की परंपरागत सीटों पर जीत हासिल की जाए। इसके लिए भाजपा अपने ताकतवर नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है। चुनावी रण के मैदान में किसको सफलता मिलती है, यह तो समय काल ही तय करेगा। इतना जरूर है, दूसरी सूची ने मध्य प्रदेश की राजनीति का पारा कई गुना चढ़ा दिया है। देश में कहा जा रहा है, अजब म.प्र. है। भाजपा का गजब का प्रयोग है।