अंतत: ईरान ने पलटवार किया और इजरायल पर बैलेस्टिक मिसाइलों की बौछार कर दी। करीब 180 मिसाइलों का आक्रमण इजरायल पर किया गया, लेकिन उसकी वायु रक्षा प्रणाली ‘आयरन डोम’ ने अधिकांश मिसाइलों का हमला नाकाम कर दिया। इसके बावजूद मध्य और दक्षिण इजरायल में कुछ मिसाइलें गिरीं, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। ईरान का हमला आकस्मिक नहीं था। अमरीका इजरायल को सचेत कर चुका था और खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ की भी लीड्स मिल रही थीं कि ईरान बहुत जल्द हमला कर सकता है। चूंकि ईरान-इजरायल के दरमियान करीब 2000 किलोमीटर की दूरी है, लिहाजा इजरायल ने यथासमय रणनीति बना ली थी कि आक्रमण को किस तरह ध्वस्त करना है। इजरायल ने यथासमय अपने नागरिकों और निवासियों को भी ‘बंकरों’ में चले जाने की सूचना दे दी थी। येरुशलम और तेल अवीव जैसे महत्वपूर्ण शहरों में सायरन गूंज रहे थे। भीषण विस्फोटों की आवाजें भी सुनी जा रही थीं। इजरायल छोटा-सा देश है, लेकिन उसका सुरक्षा-कवच वाकई ‘अभेद्य’ है। आक्रमण कर ईरान ने अपनी कुंठा पूरी कर ली थी कि उसने हमास के मुखिया इस्माइल हनियेह, हिजबुल्लाह के सरगना नसरल्लाह और ईरान के एक कमांडर की हत्याओं का बदला ले लिया, लेकिन इजरायल की ताकत और लडऩे की क्षमता जस की तस बरकरार है। यही नहीं, इजरायल ने अपनी उत्तरी सीमा से सटे लेबनान में जमीनी ऑपरेशन शुरू कर हिजबुल्लाह के लड़ाई के कई ठिकानों को ‘मिट्टी-मलबा’ भी कर दिया है। बीते 7 अक्तूबर, 2023 को हमास हमले के बाद उत्तरी इजरायल से 60, 000 से अधिक इजरायली नागरिकों ने पलायन किया था। अब इजरायल उस इलाके को हिजबुल्लाह-मुक्त कर अपने नागरिकों की वापसी तय करना चाहता है। आश्चर्य है कि लेबनान की सेना ने इजरायली ऑपरेशन के लिए रास्ता ही छोड़ दिया। आत्मसमर्पण कर दिया। इजरायल इस जमीनी ऑपरेशन के जरिए लेबनान में हिजबुल्लाह को नेस्तनाबूद कर देना चाहता है।
बेशक ईरान का हमला स्वाभाविक था, क्योंकि पश्चिम एशिया में उसकी पुरानी धाक का सवाल था। प्रमुख इस्लामी देश भी इजरायल के खिलाफ, ईरान के साथ, नहीं हैं। बहरहाल हमला इतना सिलसिलेवार और जबरदस्त था कि अमरीका के ‘व्हाइट हाउस’ में राष्ट्रपति बाइडेन को तुरंत अपनी सुरक्षा-टीम को तलब करना पड़ा। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रक्षा मंत्री से विमर्श कर तुरंत रणनीतियां तय की गईं और सेना को निर्देश दिया गया कि वह इजरायल की तरफ जाने वाली मिसाइलों, ड्रोन्स और अन्य विस्फोटकों को बेअसर करे, मार गिराए और इजरायल के अस्तित्व की रक्षा करे। इस हमले से पहले 14 अप्रैल, 2024 को भी ईरान ने 300 से अधिक मिसाइलों और ड्रोन से इजरायल पर हमला किया था। तब भी अमरीका ने उसकी सुरक्षा की थी। इस तरह ईरान-इजरायल टकराव में अमरीका का भी प्रवेश हो गया। इजरायली हमले की योजनाएं बनाई जा चुकी हैं। इजरायली सेना ने समय और स्थान की बात करते हुए कहा है कि ईरान पर पलटवार किया जाएगा। सवाल है कि क्या अब ईरान अमरीका और इजरायल के दोहरे निशाने पर आ गया है? क्या यहां से कथित युद्ध का विस्तार होगा और नए यौद्धिक समीकरण सामने आएंगे?
अमरीका को ईरान का परमाणु कार्यक्रम चुभता रहा है। उसके सभी नक्शे अमरीका के पास हैं। क्या अमरीका ईरान के परमाणु संयंत्र को निशाना बनाते हुए कोई हमला करेगा? इजरायल का निशाना ईरान के तेल भंडारों और ढांचों पर है। यदि उन पर हमला किया गया, तो विश्व में तेल आपूर्ति का संकट पैदा हो सकता है। विश्व में इस समय कई मोर्चों पर युद्ध जारी हैं। मध्य-पूर्व में जो तनाव बढ़ रहा है, उससे कई देश चिंतित हैं।