हिंदू धर्म में श्रावण मास को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने में चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा मौजूद रहती है। भगवान शिव की भक्ति का माहौल भक्तों में एक नई ऊर्जा का संचार करता है। इस महीने में यदि हम अपने घर में वास्तु के ये आसान से 6 उपाय आजमाएं तो घर के सदस्यों को भगवान शिव की उपासना से विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है। आप भी लाभ उठाएं३
पूर्व दिशा के लिए उपाय
अध्यात्म में पूर्व दिशा का विशेष महत्व होता है। घर के उत्तर-पूर्व कोने में कोई छोटा-सा जल स्रोत रखकर आप इस दिशा की ऊर्जा में वृद्धि कर सकते हैं। इसके लिए आप छोटे से कृत्रिम वाटर फाउंटेन का प्रयोग कर सकते हैं।
अर्द्धनारीश्वर स्वरूप है अति विशेष
वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा में भगवान की प्रतिमा स्थापित करने के मंगलकारी परिणाम प्राप्त होते हैं। सावन के महीने में आप घर की इस दिशा में भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। अगर यह सफेद संगमरमर के पत्थर की बनी हो तो अधिक शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इसके प्रभाव से पति-पत्नी के संबंधों में भी मधुरता आती है।
तुलसी का पौधा इस दिशा में लगाएं
घर में तुलसी स्थापित करने के लिए सावन का महीना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उत्तर दिशा में मिट्टी के गमले में तुलसी का पौधा लगाएं। इससे न केवल घर का वातावरण शुद्ध होता है बल्कि पूर्वजों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएं यदि अपने हाथ से तुलसी लगाएं तो उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है।
रुद्राक्ष धारण करें
सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने का भी विशेष महत्व होता है। यह न केवल ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है बल्कि व्यक्ति के मन को शांति और सुकून भी देता है। अच्छी सेहत और सौभाग्य के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना सर्वश्रेष्ठ होता है।
धतूरे का पौधा लगाएं
भगवान शिव को धतूरा अतिप्रिय है, इसलिए इसका प्रयोग उनकी पूजा में किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति भयमुक्त होता है और उसके जीवन में समस्याओं का निवारण शीघ्र हो जाता है। सावन के महीने में आप घर के बाहर धतूरे का पौधा लगा सकते हैं।
उपवास और पूजा-पाठ
सावन में प्रत्येक सोमवार को उपवास रखने या फिर पूरे सावन एक वक्त भोजन करने की भी विशेष मान्यता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है और आध्यात्मिक रूप से उसके पापों का नाश होता है। तथा धार्मिक कार्यों में उसकी रुचि बढ़ती है।