-पिछले दो साल से कोरोना के कारण पाई पाई को हुए मोहताज होटल-रेस्टोरेंट संचालक
मथुरा। कोरोना के दौरान भले ही आम जनता को लॉक डाउन खुलने से राहत मिल गई हो लेकिन इसके विपरीत होटल-रेस्टोरेंट संचालकों पर इसकी मार अभी पड़ रही है। बीते 2 साल से होटल व रेस्टोरेंट अधिकांश समय बंद ही रहे हैं। ऐसे में कई होटल व रेस्टोरेंट बंद हो चुके हैं तो कई बंद होने की कगार पर है कुछ उनको बेचने का मन बना रहे है।
कृष्णानगर स्थित रेस्टोरेंट बंसल फूड्स के प्रोपइटर अंकित बंसल।
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य एवं युवा व्यापारी अंकित बंसल ने बताया कि वैसे तो कोविड-19 से हर एक सेक्टर प्रभावित हुआ है लेकिन सर्वाधिक असर हॉस्पिटलिटी सेक्टर पर पड़ा है। पूरे जीडीपी में लगभग 11 प्रतिशत व कुल रोजगार का लगभग 8 प्रतिशत सहयोग होने के बावजूद सरकार द्वारा इस सेक्टर को कुछ भी खास रियायत नहीं मिल सकने से होटल-रेस्टोरेंट बन्द होने के कगार पर है। पिछले वर्ष से अब तक कुल 5 माह ही रेस्टोरेंट ठीक से चल सके जिससे संचालकों ने राहत की सांस ली लेकिन इस बार पुनः लगे लॉकडाउन ने होटल व रेस्टोरेंट संचालकों की कमर तोड़ कर रख दी है। उन्होंने बताया कि अब इस सेक्टर का कुल कारोबार लगभग 10 से 15 प्रतिशत ही रह गया। लोगों के सामने मेंटीनेंस, लोन, ब्याज, किश्त, स्टाफ की सैलरी का बोझ चुकाने की समस्या एक बार फिर आ खड़ी हुई है। एक जून से लॉक डाउन में होम डिलीवरी व पैकिंग की जो छूट दी गई है वह नाकाफी है। इससे कुछ भी फायदा इस उधोग को नहीं मिल सकेगा। हालात इतने बदतर है कि इससे जुड़े कारीगर आदि भी दूर किसी अन्य काम की खोज में लगे हुए है। इस समय आवश्यकता है कि सरकार इस उधोग से जुड़े लोगों को टैक्स, लोन, ब्याज आदि में राहत प्रदान करे। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि रेस्टोरेंट संचालकों को सहूलियत देने के लिए उन्हें कुल जमा किए गए जीएसटी का लगभग 80% तक लोन मुहैया करवाया जाए जिसका एक वर्ष का मोरेटोरियम पीरियड हो। साथ ही लॉक डाउन के दौरान सोशल डिस्टेन्स का पालन करने के नियमों के साथ होटल-रेस्टोरेंट खोले जाने की अनुमति दी जाए। इस प्रकार की मांग सरकार से सभी होटल-रेस्टोरेंट संचालकों ने की है।