– उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के तत्वावधान में ब्रज भक्ति पर हुईं राष्ट्रीय संगोष्ठी
मथुरा। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आचार्य श्रीवत्स ने कहा कि मध्यकाल में ब्रज में भक्ति चरम पर थी। हर ओर भक्ति का उद्घोष हुआ था। यह दौर भक्ति का था।
शनिवार को परिषद सभागार में ‘मध्यकालीन ब्रज भक्ति साहित्य का पुनरावलोकन’ विषयक पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए
आचार्य श्रीवत्स ने कहा कि इतिहास हमें बताता है कि श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ जी कुछ स्थानों के राजाओं और अंग्रेज फैड्रिक के उपरांत उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ही ऐसी समर्पित संस्था बनी है जो आज ब्रज को पूर्णतः संवार रही है अन्यथा विगत में किसी ने ब्रज की सुध नही ली।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने कहा कि महान संत देवराह बाबा ने पहले ही कह दिया था कि भारत एक दिन विश्व गुरू बनेगा। इसकी शुरुआत ब्रज से ही होगी। महाराज जी की बात पूरी तरह सार्थक होने जा रही है। मिश्र ने संगोष्ठी में महाराज जी से जुड़े अपने अनुभव भी सुनाए।
इससे पूर्व राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रारंभ में उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि ब्रज की सांस्कृतिक धरोहरों की पुनर्प्रतिष्ठा का संकल्प आगे बढ़ रहा है। परिषद द्वारा समूचे ब्रज के लीला स्थल, कुंड व वनों आदि को संवारने का कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल की इच्छा के अनुरूप यह संगोष्ठी आयोजित की गयी है। इस आयोजन का ध्येय भक्ति साहित्य की पुनर्प्रतिष्ठा है। सूरदास ब्रज भाषा अकादमी बनायी है। भारतीय भाषाओं में श्री कृष्ण से जुड़ी 24 पुस्तकों की श्रृंखला का प्रकाशन कराया जा रहा है। संगोष्ठी में ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा कराए गये कार्यों व परियोजनाओं पर तैयार लघु फिल्म भी दिखायी गयी।
संचालन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. नृत्य गोपाल शर्मा ने ब्रज भक्ति साहित्य पर संगोष्ठी के औचित्य पर प्रकाश डाला। ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा ने भक्ति युग की शुरुआत से लेकर अब तक के विभिन्न बिन्दुओं की जानकारी दी । साहित्यकार नटवर नागर ने कहा कि बल्लभाचार्य व उनके वंशजों के हम ऋणी हैं जो उन्होंने ब्रज में ब्रज भाषा का प्रचलन शुरु किया।
वृंदावन निवासी जय किशोर शरण ने निम्बार्क संप्रदाय के कवियों और प्रिया- प्रियतम की लीलाओं पर हरिदास संप्रदाय के गोस्वामी ललित बिहारी ने वृंदावन के स्वरूप, भक्ति व दर्शन के अलावा नृत्य बिहार लीला पर विचार व्यक्त किए।
अन्य वक्ताओं में प्रमुख साहित्यकार दिल्ली विवि के प्रो च॔दन कुमार, वृंदावन के सुक्रत गोस्वामी, वृंदावन शोध संस्थान से राजेश शर्मा ने ब्रज भक्ति के विभिन्न बिन्दुओं पर व्याख्यान दिया। ताराचंद प्रेमी ने कविता- “ब्रजमंडल देश हमारौ”का गायन किया।
केआर कॉलेज के संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डॉ रामदत्त मिश्रा ने गर्ग संहिता में ब्रजभक्ति पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। दिल्ली के विवि के डॉ विजय कुमार मिश्रा ने भक्ति साहित्य की उपेक्षा पर कपिल देव उपाध्याय ने भगवत रसिक, निकुंज बिहार की भावना और उसके मूल तत्व पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र और सीईओ एसबी सिंह ने वक्ताओं को सम्मानित किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में साहित्यकार दिनेश पाठक शशि, महेश चंद्र शर्मा, डॉ. रमाशंकर पांडेय प्रो. दिनेश खन्ना, डॉ अनीता चौधरी, केके. शर्मा,डॉ.शारदा मिश्र, डॉ. नीतू गोस्वामी, प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी आदि प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।