मथुरा। कोरोना ने देश में लोगों को क्या-क्या दिन दिखाएं उसका बयां नहीं किया जा सकता। सब चाहते है उन पर जो बीती है वह किसी और पर न बीते। इस महामारी की चपेट में जो लोग, परिवार आए उन्होंने बहुत ही दुखदाई जीवन जिया है वही जिन्होंने हिम्मत हौसला रखा वह सकुशल होकर आम जीवन व्यतीत करते हुए समाज को सुखद संदेश दे रहे है। ऐसा ही एक परिवार है अपने शहर डैंपियर नगर निवासी स्व. लाला लालचंद कसेरे का। जिनके परिवार के 9 सदस्य कोरोना पॉजिटिव हुए। सभी ने यह जंग बिना अस्पताल जाए घर में रहकर ही जीत ली। आज इस परिवार के लोग जो कोरोना पॉजिटिव होकर पूर्ण स्वस्थ हो चुके हैं वह अपना प्लाज्मा डोनेट कर दूसरे लोगों का जीवन बचाने में तन मन से लगे हुए हैं। यहां तक कि घर के पुरुषों के अलावा बहू बेटियां भी प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार हैं। कसेरे परिवार के सदस्य संजीव गर्ग पप्पी ने एक ख़ास मुलाक़ात में बताया कि कोरोना की जंग जीतने के लिए आपसी एकजुटता प्रेम धैर्य हौसला बहुत जरूरी है। उनके अनुसार परिवार में हम 4 भाई सब की पत्नी और बच्चे व पूजनीय माता जी सहित भरा पूरा सम्पन्न परिवार है क्योंकि इस समय लोग कोरोना नाम की बीमारी से ग्रस्त है हम सब भी इस बीमारी से ग्रसित हुए इसका प्रवेश हमारे घर में 12 अप्रैल 2021 से हुआ सबसे पहले में इसकी चपेट में आया उसके 2 दिन पश्चात आभास होने लगा कि यह रोग धीरे-धीरे परिवार में पैर पसार रहा है इस बीच मेरी दोनों बेटियां भी इससे ग्रसित हो गई।
4 दिन बाद पता चला कि माता जी को भी कोरोना ने जकड़ लिया। पूरा परिवार चिंताग्रस्त हो गया इस पर हमने डॉ.संजय सूद एवं डॉ.आशीष गोपाल से परामर्श करके घर में ही इलाज शुरू कर कर दिया लेकिन स्थिति बिगड़ गई थी उसके पश्चात मेरे छोटे भाई आशीष गर्ग उसकी पत्नी उसके दोनों बच्चे भी इसकी जकड़ में आ गए। ऑक्सीजन लेने का सिलसिला शुरू हो गया माताजी की स्थिति खराब थी और बड़े भाई नवीन गर्ग की गाइड लाइन में सब कार्य हो रहे थे। माताजी की स्थिति बिगड़ी तो तुरंत बाजार से ब्लैक में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाया गया और माताजी को ऑक्सीजन देना शुरू किया गया जब तक ऑक्सीजन लेवल 75 तक पहुंच चुका था। सीटी स्कैन 10 पाइंट पहुंच गया बुखार लगातार एक सौ तीन और चार बना हुआ था। कमोवेश वही स्थिति 2 दिन बाद छोटे भाई और उसके परिवार की भी हो गई उसके भी ऑक्सीजन लग गया लेकिन हम में से किसी ने भी हिम्मत नहीं हारी और लगातार एक दूसरे को हिम्मत बनाते रहे और इन सब में योगदान हमारे दोनों डॉक्टर्स का विशेष तौर पर रहा जब भी हमने परामर्श करना चाहा वह हमें किसी भी समय लगातार परामर्श देते रहे। दवाइयां शुरू हो चुकी थी उसके साथ-साथ इंजेक्शन स्टोराइड प्रारंभ हो चुके थे और माताजी और छोटे भाई की परिवार की स्थिति बिगड़ रही थी साथ ही मेरी छोटी बेटी की भी स्थिति बिगड़ रही थी लेकिन हम सब एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर के बैठे रहे और एक दूसरे को सांत्वना हिम्मत देते रहे जो भी सुनता वही हमें ढाढंस बनाता था। खराब हालत देखकर कभी-कभी तो दिल डूबने लगता था लेकिन अपने ठाकुर जी और भगवती पर विश्वास बनाए रखा और मन में एक विश्वास था सब कुछ सही होगा रोज अपनों की मृत्यु का दुखद समाचार सुनते थे जिससे मन बहुत द्रवित हो जाता था उसके बावजूद भी हिम्मत को नहीं छोड़ते थे धीरे धीरे सब कुछ अब सही होने लगा था तथा सबको आराम आना शुरू हो गया मन में बड़ा शांति आने लगी।
आज सब कुछ सही है सबका ऑक्सीजन हट गया सब की दवाइयां भी कम हो गई। बहुत लोगों ने हमें परामर्श दिया कि आप अस्पताल में भर्ती हो जाओ लेकिन हमने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन हम अस्पताल नहीं जाएंगे और उसी निर्णय का परिणाम यह हुआ कि आज हम सब एकदम स्वस्थ है। परिवार के सदस्य श्रीमती स्वर्ण लता गर्ग नवीन गर्ग नीति गर्ग संजीव गर्ग मनीषा गर्ग आशीष गर्ग नीतू गर्ग वैभव गर्ग सुरभि गर्ग सिद्धार्थ गर्ग आदित्य दिव्यांश प्रियांश सार्थक देवांशी शुभांशी कार्तिकेय अर्णव अपनी जान सलामती पर प्रभु को धन्यवाद देते कामना कर रहे कि वह भारत वासियों को इस संकट से जल्द से जल्द उबार दे। इस मामले में मेरी बुआ के बेटे मनीष गुप्ता व चाचा प्रमोद गर्ग कसेरे ने हमारी बहुत मदद की।
संजीव गर्ग पप्पी का कहना है कि पॉजिटिव होने पर हिम्मत ना हारे इसका सामना डटकर करें और अपने भगवान पर विश्वास रखें कुछ भी नहीं होगा।