वृंदावन में बिहारीजी कोरिडोर की पहल करने के लिए योगी सरकार को साधुवाद
सेवा पूजा से जुड़े कुछ लोग ही विरोध करेंगे, बाकी सभी निर्माण के पक्ष में है, कोरिडोर भक्तों की पुकार
मथुरा । वृंदावन दर्शन को आए श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के यतींद्रानंद गिरी महाराज ने बिहारीजी कोरिडोर की पुरजोर पैरोकारी की। उन्होंने कहा कि वृंदावन में कोरिडोर के लिए सरकार कहे या ना कहे लेकिन भक्त अवश्य कह रहे हैँ कि इसका निर्माण होना चाहिए। सेवा पूजा से कुछ लोग ही इसका विरोध करेंगे। यह स्थिति देश भर में कोरिडोर बनाए जाने के दौरान पैदा हुई हैँ। शनिवार को उत्तराखण्ड से आए महाराज श्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वृंदावन इस धरती पर स्वर्ग है। इस भूमि की रज पर स्वयं भगवान लोटपोट हुए। आज भी लाखों लाखों लोग जीवन की उलझनों को सुलझाने ब्रज भूमि आते हैँ। यह भूमि धन्य है। इसे जितनी बार प्रणाम किया जाए कम है।
वृंदावन में कोरिडोर के सवाल पर उन्होंने कहा कि योगी सरकार इसके लिए साधुवाद की पात्र है। कोरिडोर भक्तों की जरूरत है। बिहारीजी के भक्त कह रहे हैँ कि कोरिडोर जरूर बनना चाहिए। अब वृंदावन आने वाले भक्तों की संख्या लाखों लाख हो गई जो, उनके लिए वहाँ स्थान नहीं बचा है। कई बार हादसे हो चुके हैँ। लोगों की जान चली गई है। भीड़ भाड़ से भक्तों को बचाने के लिए सरकार ऐसा सोच रही है तो इसमें क्या परेशानी है।
उन्होंने कहा कि वृंदावन में कुछ लोग हैँ जो बिहारीजी की सेवा पूजा से जुड़े है, वही विरोध कर रहें हैँ। बाकी कोई कोरिडोर के विरोध में नहीं है। सरकार को चाहिए कि श्री बाँकेबिहारी की सेवा पूजा में लगे परिवारों के हितों का ध्यान रखे। किसी का अहित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहारीजी किसी की निजी सम्पत्ति नहीं हैँ, न व्यक्ति और न किसी परिवार की। बिहारीजी सभी के हैँ। बिहारीजी को महान संत हरिदास जी प्रकट किया था। जो कहते कि हम उनके वंशज हैँ, यह भी सरासर गलत है। उनका कोई वंश नहीं वे संत थे। गिरी महाराज ने कोरिडोर की व्यवस्था के लिए सामाजिक ट्रस्ट की आवश्यता जताई, जिसमें सभी का प्रतिनिधित्व रहे। वृंदावन के प्राचीन स्वरूप नष्ट होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश में जहां जहां कोरिडोर बने है आर्थिक तरक्की हुई है। रौजगार बढ़ा है। अयोध्या, काशी में जो लोग विरोध करते थे अब वह लोग कहते है हम मालामाल हो रहे है। भक्तों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि भक्ति भवना के साथ विकास होता है तो कुछ बुरा नहीं है। हालांकि वह तीर्थाटन और पर्यटन को अलग अलग दृष्टि से देखना चाहते हैँ। तीर्थाटन की अलग परम्पराए होनी चाहिए।