ज्येष्ठ मास के तीसरे बड़े मंगलवार अमावस्या को आज सम्पूर्ण देश में न्याय के देवता, कर्मफल दाता और दंडाधिकारी शनिदेव की जयंती वैदिक विधिविधान के साथ मनाई गई।
इस पुण्य अवसर पर श्री दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान द्वारा शनि जयंती पर विशेष आयोजन किया गया जिसमें संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने जानकारी देते हुए कहा कि ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव का विशेष स्थान है उन्हें न्याय का देवता, कर्मफल दाता और दंडाधिकारी बताया गया है। इस बार ज्येष्ठ मास के तीसरे बड़े मंगलवार अमावस्या को कृतिका और रोहणी नक्षत्र के साथ सुकर्मा योग में शनि जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है उनके लिए शनिदेव की वैदिक विधिविधान के साथ पूजा करने से ग्रह की शान्ति होगी और अत्यंत लाभकारी रहेगा।

इस अवसर पर आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने श्री शनिदेव के ग्रह प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मां छाया देवी पिता श्री सूर्य देव के पुत्र और मां श्री यमुना जी एवं धर्मराज के भाई तथा जिनके भगवान श्री कृष्ण स्वयं बहनोई हैं ऐसे शनिदेव की जयंती पर भक्तों द्वारा शनिदेव का पूजन और दान धर्म करने से शनिदेव की विशेष कृपा रहती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक चतुर्वेदी ने कहा कि वैदिक पंचांग के अनुसार 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि प्रारम्भ होकर आज सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होती है अतः आज सम्पूर्ण देश में शनि जयंती वैदिक परम्परा अनुसार मनाई जा रही है। गोष्ठी का संचालन करते हुए पंडित रामदास चतुर्वेदी शास्त्री ने बताया कि संवत् 2082 में शनि के मीन राशि में गोचर करने से कुंभ,मीन और मेष राशि पर साढ़े साती का प्रभाव रहेगा साथ ही धनु और सिंह राशि पर शनि की ढैय्या प्रारम्भ हो जाएगी।कर्क और वृश्चिक राशि पर ढैय्या समाप्त हो जाएगी।