दिल्ली/मथुरा/वृन्दावन । वृंदावन के चर्चित डालमिया बाग मामले की सुनवाई के दौरान आज याचिकाकर्ता को माननीय एन जी टी द्वारा कड़ी हिदायत देते हुए कहा कि जमीन का सौदा कितने में हुआ या फ्री में हुआ उससे हमें मतलब नहीं है, यहां जिस मामले से संबंधित याचिका आपके द्वारा दाखिल की गई है सिर्फ उस पर आपको कुछ कहना है तो वो न्यायालय को बताएं व्यर्थ समय बर्बाद ना करें” न्यायालय ने याचिकाकर्ता गोस्वामी को डांट लगाते हुए कहा कि आपने सर्वोच्च न्यायालय का आदेश पढ़ा था ? और क्या चाहते हैं एन जी टी से ? इस पर याचिकाकर्ता गोस्वामी इधर उधर देखने लगे ।
प्रतिवादी शिव शंकर अग्रवाल की तरफ से मौजूद सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी, राहुल कुमार ने याचिकाकर्ता गोस्वामी द्वारा तथ्यों को छुपाने का आरोप भी लगाया। अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने कहा कि विभिन्न फोरम पर अलग अलग याचिका कर याचिकाकर्ता अपने निजी हित साधने का प्रयास कर रहे हैं । एन जी टी कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए आदेश दिया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले पर संज्ञान लिया जा चुका है तथा प्रतिवादी द्वारा भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन किया जा रहा है, इसी क्रम में अब इन दोनों याचिकाओं को खारिज किया जाता है । सोमवार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी ने वृंदावन के डालमिया बाग प्रकरण में दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पश्चात अब इस याचिका में किसी भी प्रकार का कोई निर्णय लेने के लिए कुछ नहीं बचा है। एनजीटी ने आज अपने फैसले में याचिकाकर्ता को स्पष्ट हिदायत देते हुए कहा है कि उसका द्वारा उठाया गया मुद्दा इस न्यायालय से संबंधित नहीं है अब इस मुद्दे को यहां ना उठाएं।
ज्ञात रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को दिए अपने फैसले में कहा था कि प्रतिवादी 454 पेड़ के सापेक्ष प्रति पेड़ ₹1 लाख रु जुर्माना के हिसाब से 4 करोड़ 54 लाख रुपए की धनराशि जमा कराएगा तथा बाग के आसपास 9200 पेड़ लगाने के लिए वन विभाग को जमीन उपलब्ध कराई जाए जिसकी धनराशि प्रतिवादी द्वारा दी जाएगी। प्रतिवादी शिव शंकर अग्रवाल द्वारा जमाने की धनराशि 4 करोड़ 54 लाख रुपए जमा कर दी गई है ।