मथुरा। वर्ष 1975 में आयी कालजयी फिल्म ‘शोले’ आपने देखी होगी जिन्होने न देखी हो उन्होने ‘शोले’ नाम जरूर सुना होगा। इस फिल्म को बने 27 जून 2025 आज पूरे 50 वर्ष हो गये।
‘शोले’ का क्लाइमेक्स गब्बर सिंह (अमजद खां) की गिरफ्तारी से होता है। उस समय 25 साल के निर्माता-निर्देशक रमेश सिप्पी ने फिल्म के अंत में ठाकुर (संजीव कुमार) के कील लगे जूतों से कुचल कर ‘गब्बर की मौत’ करायी थी लेकिन फिल्म सेंसर बोर्ड ने ‘गब्बर को मौत की उस सजा’ पर एतराज किया। उसने माना कि गब्बर को फिल्म के अंत में मारने का मतलब ‘कानून को अपने हाथ में लेना’ है। अतः ये सीन हटा दिया गया।
बंगलौर के समीप फिर से अमजद, जय व वीरू आदि (अमिताभ बच्चन व धर्मेंद्र) को ले जाकर शूटिंग हुई और घायल गब्बर को अरेस्ट दिखाया गया।
सेंसर बोर्ड ने बसंती (हेमा मालिनी) को आग पर नचाने का सीन भी कम कर दिया। ठाकुर के दोनों हाथ काटते हुए सीन भी वीभत्स बताकर शोर्ट किया। इसके अलावा कई अन्य सीन काटे गये।
‘शोले’ के इतने सीन को हटाने की “कसक” रमेश सिप्पी में आज भी है। अब सिप्पी के बेटे ने पिता की कसक दूर करने को आज 27 जून 2025 को इटली के शहर बोलोग्ना में ‘ शोले’ को अनकट (हूबहू) विशाल परदे पर दिखवाने की व्यवस्था करायी है।
गब्बर 50 साल बाद 27 जून को आज इटली में ठाकुर के पैरों से कुचल कर मारा जायेगा। ये अनकट एवं रिस्टोर्ड वर्ज़न इटली के शहर बोलोग्ना में प्रमुख ओपन-एयर स्क्रीनिंग के रूप में दिखाया जाएगा। यह शो Cinema Ritrovato Festival में खूबसूरत Piazza Maggiore में होगा।
Film Heritage Foundation और Sippy Films की पहल से यह संभव हो रहा है।
अब 4K में स्कैन की गई इस फिल्म को मूल 70mm, Aspect Ratio (2.2:1) में देखा जा सकेगा।
मूल निगेटिव तो बर्बाद हो चुका था लेकिन इंगलैंड के एक गोदाम में मिली कुछ रंगीन रील्स और वर्ष 1978 का इंटर पॉजिटिव Sippy Films pvt. co. द्वारा सुरक्षित रखा गया था, जिससे इस फिल्म को एक नई ज़िंदगी मिली।
मूल साउंड निगेटिव और मैग्नेटिक ट्रैक से सुनायी देगा ताकि “जय-वीरू की हँसी, बसंती का धमधम नाच और गब्बर की डरावनी हँसी” सब कुछ वर्ष 1975 जैसे दिखेगा और सुनाई देगा।