-रमेश सर्राफ धमोरा-
दुनिया में मां की तुलना भगवान से की जाती है। भारत में गंगा नदी को पवित्र मान कर मां का दर्जा दिया जाता है जो इस बात का संकेत है कि मां अपने आप में एक उपाधि है। कई धार्मिक ग्रंथो में जननी की महिमा का बखान मिलता है। प्रत्येक वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे यानी मातृ दिवस मनाया जाता है। ऐसे में इस साल 12 मई को मातृ दिवस मनाया जाएगा।
मां एक ऐसा शब्द है जिसमें पूरा ब्रम्हांड समा जाए। जब हम मां बोलने के लिए मुंह खोलते हैं तो शब्द के उच्चारण के साथ ही पूरा मुंह भर जाता है। मां ममता की मूरत होती है। पूरी दुनिया के सभी धर्मों ने मां के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। अपने बच्चों के प्रति मां का प्यार, दुलार, समर्पण और त्याग अनमोल होता है। मां को सम्मान देने के लिए पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृत्व दिवस (मदर डे) के रूप में मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मातृत्व दिवस माताओं एवं मातृत्व का सम्मान करने वाला दिन होता है। एक मां ही होती है जो सभी की जगह ले सकती है। लेकिन उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता है। मां अपने बच्चों की हर प्रकार से रक्षा और उनकी देखभाल करती है। इसलिए मां को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। मां वह शख्स होती है जो नो माह तक अपने बच्चे को कोख में रखकर जन्म देती है। उसके बाद उसका लालन-पालन करती है। कुछ भी हो जाए लेकिन एक मां का अपने बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नहीं होता है। वह खुद से भी ज्यादा अपने बच्चों के सुख सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है। मां अपनी संतान की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस रखती है।
मां होने का अर्थ है उत्तरदायित्व और निस्वार्थता से पूरी तरह से अभिभूत होना। मातृत्व का मतलब है रातों की नींद हराम करना। मां भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है। उसके जितना त्याग और प्यार कोई नहीं कर सकता है। मां विश्व की जननी है उसके बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मां ही हमारी जन्मदाता होती है और वही हमारी सबसे पहली गुरु होती है। इसीलिए हम धरती को भी धरती माता कहते हैं। जो अपने उपर हम सब का वजन उठाती है।
मां को संस्कृत में मातरः कहते है। मां ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसके माध्यम से परमेश्वर अपने अंश द्वारा अपनी शक्ति का संचार और विस्तार करता हैें। पुराणों के अनुसार मां का अर्थ लक्ष्मी है। जिस प्रकार मां लक्ष्मी सृष्ठि का पालन करती है उसी प्रकार मां भी शिशु का पालन करती है। इस प्रकार मां को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया। एक मत यह है कि इस सृष्टि का आरंभ मनु और शतरूपा नामक स्त्री-पुरुष के समागम से हुआ। मनु के नाम पर ही उनकी संतान को मनुज या मानव कहा गया। मनु की संतान को जिसने जन्म दिया उसे मां कहा गया। और इस प्रकार मां शब्द की उत्पत्ति हुई।
हमारे देश में गाय को भी गौमाता कह कर पुकारते हैं जो हमें अपने अपना दूध पिला कर बड़ा करती है। मां हमारे जीवन की सबसे प्रमुख हस्ती होती है जो बिना कुछ पाने की उम्मीद किए सिर्फ देती ही रहती है। मां का प्यार निस्वार्थ होता है जो हम अपने पूरे जीवन में किसी और से प्राप्त नहीं कर सकते हैं। मां बच्चे की पहली गुरु होती है।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।
वाल्मीकि रामायण के इस श्लोक में आचार्य वाल्मीकि कहते हैं कि माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर होता है और उनके चरणों में ही वैकुंठ धाम है।
नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।
यह श्लोक जीवन में माता के महत्व को बताता है। इस श्लोक में कहा गया है, माता के समान कोई छाया नहीं है और न ही उनके समान कोई सहारा है। न तो दुनिया में मां के समान कोई रक्षक नहीं और उनके समान कोई प्रिय वस्तु भी नहीं है। महाभारत में एक प्रसंग के दौरान जब यक्ष धर्मराज युधिष्ठर से सवाल पूछते हैं कि भूमि से भारी कौन है। तब युधिष्ठर कहते हैं कि माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं। अर्थात संसार में माता का स्थान सबसे अधिक गौरवपूर्ण है।
भारतीय संस्कृति तथा कुछ ग्रंथों के अनुसार मां शब्द की उत्पत्ति गोवंश से हुई। गाय का बछड़ा जब जन्म लेता है तो उसके सर्वप्रथम रंभानें में जो स्वर निकालता है वह मां होता है। यानी कि बछड़ा अपनी जन्मदात्री को मां के नाम से पुकारता है। इस प्रकार जन्म देने वाली को मां कहकर पुकारा जाने लगा। शास्त्रों के अनुसार सर्वप्रथम बछड़े ने ही अपनी मां गाय को रंभाकर मां पुकारा और वहीं से इस शब्द की उत्पत्ति हुई।
देखा जाए तो मातृ दिवस का इतिहास सदियों पुराना एवं प्राचीन है। यूनान में परमेश्वर की मां को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता था। 16वीं सदी में इंग्लैंड का ईसाई समुदाय ईशु की मां मदर मेरी को सम्मानित करने के लिए इस दिवस को त्योहार के रूप में मनाये जाने की शुरुवात हुई। ‘मदर्स डे’ मनाने का मूल कारण समस्त माताओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है।
मातृत्व दिवस को आधिकारिक बनाने का निर्णय पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने आठ मई 1914 को लिया था। राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने और मां के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की थी। वे समझ रहे थे कि सम्मान, श्रद्धा के साथ माताओं का सशक्तिकरण होना चाहिए। जिससे मातृत्व शक्ति के प्रभाव से युद्धों की विभीषिका रुके। तत्पश्चात हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। वर्तमान में ये भारत के साथ यूके, चीन, यूएस, मेक्सिको, डेनमार्क, इटली, फिनलैण्ड, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, जापान, बेल्जियम सहित कई देशों में मनाया जाता है। हर साल माताओं के प्रति अपने आदर और सम्मान को व्यक्त करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
मां शब्द की उत्पत्ति और अर्थ के बारे में कई मत हैं। विभिन्न शैलियों ने मां शब्द की व्याख्या की है। ये एक अक्षर वाला मां संबोधन पूरे ब्रह्मांड में सबसे ताकतवर शब्द माना जाता है। मां सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक भावना है। इसका वर्णन शब्दों मे करना नामुमकिन है। मां वो है जो न सिर्फ हमे जन्म देती है बल्कि हमे जीना भी सिखाती है। मां शब्द का अर्थ है निस्वार्थ प्यार और बलिदान। मां भगवान् का जीता जागता स्वरूप है। मां खुले दिल से अपने बच्चो का भरपूर ख्याल रखती है। मां वो होती है जो खुद भूखी सो जाए पर अपने बच्चो को भूखा रहने नहीं देती। उसे खुद कितनी भी तकलीफ हो वो जताती नहीं और ऐसे मे भी सिर्फ अपने बच्चो की ही सलामती की दुआ करती है। मां की ममता समुद्र से भी गहरी है।
दुनिया में हर शब्द का अर्थ समझा और समझाया जा सकता है। लेकिन मां शब्द का अर्थ समझना और समझाना दोनों ही लगभग नामुमकिन है। मां शब्द का अर्थ समझाना इसलिए नामुमकिन है क्योंकि मां के प्यार को मां के बलिदान को शब्दों में नहीं समझाया जा सकता। इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। मां के दिल में जितना प्यार अपने बच्चों के लिए होता है। अगर मां के सभी बच्चे कोशिश भी करें तो उसका कुछ अंश भी अदा नहीं कर सकते।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
साथियों बात अगर हम मां की करें तो, हम में से हर कोई अपनी मां से सबसे ज्यादा जुड़ाव महसूस करता है। ये जीवन की शुरुआत से होता है और जीवन के अंत तक बना रहता है। मां हर किसी के लिए वो खास इंसान होती है जिससे एक बच्चा अपने जीवन की शुरुआती गुण सीखता है। हम बड़े हो जाते हैं मां बूढ़े होने लगती है और फिर इस व्यस्त जीवन में हम मां के पास ही लौटना भूल जाते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए अपने मां के पास लौटने का दिन है मां दिवस। इसे मानने की शुरुआत भी ऐसी ही कहानी से हुई थी। माँ के प्यार की कोई सीमा नहीं होती, वह हमेशा हमारे साथ होती है, चाहे हम कितने भी दूर हों। उनकी गोद एक शरणस्थान है,जहाँ हमें सुकून मिलता है और सभी दुखों का इलाज होता है। माँ हमारी दुआ होती है, हमारी सबसे अच्छी मित्र होती है और हमारी अनमोल सम्पत्ति होती है।कई बार हम ये भूल जाते हैं कि हमारी माँ भी इंसान हैं, उनकी भी अपनी इच्छाएं और ख्वाहिशें होती हैं। शायद वो कभी घूमने जाना चाहती थीं, या कोई नया शौक अपनाना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने हमारी परवरिश के लिए अपने सपनों को त्याग दिया। मां दिवस 12 मई के इस अवसर पर, आइए हम ये ज़रूर करें कि हम उनकी ख्वाहिशों को जानने की कोशिश करें और उन्हें पूरा करने में उनकी मदद करें। अपनी माँ के साथ थोड़ा वक्त बिताएं, उनकी पसंद की फिल्म देखें, या उनकी पसंद का खाना बनाकर उन्हें स्पेशल फील कराएं। यकीन मानिए, ये छोटी-छोटी चीज़ें ही उन्हें सबसे ज्यादा खुशी देंगी। माँ शब्द जितना छोटा है, उसका महत्व उतना ही ज्यादा है। दुनियां की हर एक मां को समर्पित है मातृ दिवस। मां की दुआएं हमारी मुसीबतों से इस कदर टकराती हैं, जमाने की हर बलाए उनके काले टीके से घबराती हैं। किसी ने हमसे पूछा स्वर्ग कहां है, हमने मुस्कुराते हुए कहा, जिसके घर में मां है वो जगह स्वर्ग है!माँ के प्यार से ज्यादा कुछ नहीं अनमोल होता है।
साथियों बात अगर हम मां दिवस 12 मई को मनाने की करें तो, मातृ दिवस के इस शुभ अवसर पर, मैं अपनी माँ के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूँ। माँ वह स्तंभ हैं जो हमारे परिवार को संभालती हैं। वो सुबह जल्दी उठकर रात देर तक काम करती हैं ताकि हम खुश रह सकें। वो न सिर्फ हमारे भोजन का ध्यान रखती हैं बल्कि हमारे अच्छे संस्कारों का भी ध्यान रखती हैं। कभी-कभी हम उनकी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन उनकी हर बात हमारे भले के लिए ही होती है। इस मौके पर, मैं अपनी माँ से माफी माँगता हूँ उन सब लम्हों के लिए जब मैंने उन्हें दुखी किया और उनका शुक्रिया अदा करता हूँ उनके हर त्याग के लिए। मां दिवस हर इंसान के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि यह हमें हमारी एकमात्र दुनिया (माँ) को उसके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद कहने का मौका देता है जो उसने पूरी जिंदगी दी है।अपने विचारों को ऐसे शब्दों की भाषा में पिरोना चाहता हूं ताकि दूर गगन में बैठी मेरी माँ सुन सकें और मेरे जीवन में उनके महत्व को महसूस कर सकें। मां दिवस के इस शुभ अवसर पर, दूर गगन में बैठी और मां दिवस पर अदृश्य रूप से मेरे सामने आई अपनी माँ के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूँ कि आज भी मैं हर जगह हर स्थिति में चाहे वह खुशी हो या गम तुम्हारा साथ मैं महसूस कर रहा हूं मां दिवस पर हे मां तुझे प्रणाम वंदन।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मां दिवस 12 मई 2024-हे मां! तुम्हारे साथ मां दिवस मनाना है,आओ इस लोक में या बुला लो परलोक में।मां की गोद एक शरण स्थान है,जहां हमें सुकून मिलता है सभी दुखों का इलाज होता है।मां धरती पर भगवान का रूप होती है, मां का स्थान हमारे जीवन में अद्वितीय होता है।
(लेखक कर विषेशज्ञ, स्तंभकार एवं एडवोकेट है)