– वृंदावन में संतों ने बैठक कर धर्म संसद के माध्यम से इस जन्माष्टमी का भव्यता के साथ मनाने का भी लिया निर्णय
– संत समाज ने वैश्विक पटल पर योगिराज श्रीकृष्ण के विचारों को जन मानस के अंत: करण तक पहुंचाने का किया आह्वान
वृंदावन (मथुरा)। इस बार भगवान श्रीकृष्ण के 5251 वें प्राकट्योत्सव को भव्य और दिव्य रूप में मनाने का आह्वान संत समाज ने किया है। संत समाज ने इस उपलक्ष्य में वृंदावन में विशाल बैठक कर वैश्विक पटल पर योगिराज श्रीकृष्ण के विचारों को जन मानस के अंत:करण तक पहुंचाने का आह्वान किया। साथ ही धर्म संसद के माध्यम से विभिन्न सम्प्रदायों को साथ लेकर इस जन्माष्टमी का भव्यता के साथ मनाने का भी निर्णय लिया है।
गुरुवार को चंद्रोदय मंदिर परिसर में संत समाज की बैठक/ गोष्ठी इस बार श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव को भव्य एवं दिव्य रूप में सम्पूर्ण विश्व में प्रचार प्रसार के साथ मनाने के लिए श्याम सुन्दर दास के शंख उद्घोष के साथ शुरू हुई। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को वर्ष पर्यंत मनाने के लिए विभिन्न विचारों का आदान प्रदान संतों के मध्य हुआ। सभी तथ्यों के साथ व्यापक स्तर पर अनेक कार्यक्रमों के सुझाव प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संत गोविन्दानंद तीर्थ ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का 5251 वां महोत्सव संत समाज के मध्य एक विशेष उत्साह का अवसर लेकर आया है। यह उत्सव मेरे घर का उत्सव है इस विचार को जन मानस के अंतःकरण तक पहुंचाने का संकल्प लिया जाए साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के सभी कलाओं का प्रचार प्रसार सम्पूर्ण विश्व में करने का अवसर प्रदान करता है।
इस दौरान चतुर्थ सम्प्रदाय प्रमुख फूलडोल बिहारी दास महाराज ने आश्वस्त किया कि धर्म संसद के माध्यम से, सनातन के लिए कार्य करने वाले समाजिक संगठनों के माध्यम से एवं विभिन्न सम्प्रदायों को साथ लेकर इस जन्माष्टमी का भव्यता के साथ मनाने का आह्वान किया जाएगा। संत बलराम बाबा ने कहा कि वर्तमान में सभी धर्म के लोग भगवान श्रीकृष्ण को उनकी लीलाओं के माध्यम से जान रहे हैं और हमें सम्पूर्ण विश्व में कृष्ण भावनामृत का विकास करना है।
श्री राधा रमण मंदिर के सेवायत श्रीवत्स गोस्वामी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम अलौकिक 5251 कृष्णाब्द में हैं। इस जन्माष्टमी को 5000 गुणित उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस संदर्भ में सभी संतों महंतों भक्तों ने सभी विषयों पर सहमति जताते हुए इस विषय को लेकर एक बार फिर शीघ्र बैठक के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।
गोष्ठी में लाडली शरण महाराज अच्युत लाल भट्ट महेशानंद सरस्वती गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी आचार्य बद्रीश सच्चिदानंद शास्त्री सुन्दर दास दशरथ दास कृष्णानंद मोहिनी बिहारी शरण बिहारी दास वेणु गोपाल दास पंकज बाबा मरूतिनंदन नवल गिरी महाराज मकरंद चतुर्वेदी गोस्वामी शैलेन्द्र नाथ श्री चन्द्र दास सत्यमित्रा नंद स्वामी यज्ञ देव श्री यति महाराज सुशील गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।