मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पारित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को इसे पेश किया था। इससे पहले विधानमंडल के विशेष सत्र से पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण के बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी थी।
दरअसल, मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे। सरकार का मकसद है कि अन्य समुदायों के लाभों को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण प्रदान किया जाए।
वहीं, विधानसभा में पारित होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण विधेयक को महाराष्ट्र विधान परिषद में पेश कर दिया है। अब विधान परिषद में इस पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग कराई जाएगी।
विधेयक में क्या?
महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 में प्रस्ताव दिया गया है कि आरक्षण लागू होने के 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है। विधेयक में बताया गया कि राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 प्रतिशत है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले कुल मराठा परिवारों में से 21.22 प्रतिशत के पास पीले राशन कार्ड हैं। यह राज्य के औसत 17.4 प्रतिशत से अधिक है। जनवरी-फरवरी के बीच किए गए सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि मराठा समुदाय के 84 फीसदी परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं आते हैं। ऐसे में वे आरक्षण के लिए पात्र हैं। विधेयक में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्या करने वाले किसानों में से 94 फीसदी मराठा परिवारों से हैं।