मथुरा। जनपद में तीव्र गति से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण हालत दयनीय होते जा रहे हैं निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज का काफी अभाव है। सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था जगजाहिर है वहीं निजी कोविड-19 वाले निजी अस्पतालों में चिकित्सक और सर्पोटिंग स्टाफ की भारी कमी उपचार में बहुत बड़ा संकट बन कर उभर रही है।
सूत्रों का कहना है कि करीब 200 बेड वाले एक निजी अस्पताल की चौथी मंजिल पर बने कोविड-19 सेंटर में डेढ़ सौ के मुकाबले मात्र 30 लोगों का ही नर्सिंग स्टाफ है जहां पर पूरे पूरे दिन में मरीजों का ब्लड प्रेशर तक नहीं नापा जा रहा। अस्पताल के स्टाफ का ही एक परिजन जो कि उक्त अस्पताल में ही भर्ती है वह भी उसकी भरपूर प्रयास करने पर भी कोई मदद नहीं कर पा रहा । अन्य निजी अस्पतालों में भी स्थिति काफी भयावह है । अस्पताल प्रबंधन कोरोना संक्रमण के भयंकर प्रकोप से खौफजदा हो गया है।
सोमवार को इस निजी अस्पताल के फार्मेसी स्टाफ ने वेतन न मिलने पर हड़ताल कर दी जिनको मुश्किल से समझा कर काम पर वापस लाया गया। हड़ताल के कारण काफी देर तक मरीजों के पास दवा नहीं पहुंच सकी। बताया जाता है बंदी की कगार पर खड़े इस हाई-फाई अस्पताल प्रबंधन के पास स्टाफ को देने के लिए वेतन नहीं है परंतु मरीजों से मनचाहे रुपए ऐठने में महारथ हासिल है। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ कोविड-19 का उपचार कर रहे निजी अस्पतालों की भी लगाम कसे।