पुनीत शुक्ला
वृंदावन, (राजपथ ब्यूरो/पुनीत शुक्ला) मथुरा जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन तेजी के साथ बढ़ती जा रही है बीते 24 घंटो में 220 नए कोरोना मरीज पॉजिटिव निकले है। एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र के रिपोर्टर सहित उसके चार परिजन को कोरोना निकला है। घर में केवल 14 वर्ष का पुत्र निगेटिव है। हालत इतनी खराब है कि खाने के लाले पड़ गए है। पत्नी और बुजुर्ग पिता की हालत ज्यादा खराब है। नाबालिग पुत्री और स्वय पत्रकार पॉजिटिव होने पर भी अभी तक ठीक है।
बाजारों में ना तो सख्ती के साथ मास्क चेकिंग की जा रही है और ना ही इस वायरस को रोकने के कोई खास प्रयास किए जा रहे हैं। अगर बात करें मंदिरों की, बाजारों की, सब्जी मंडी की तो ज्यादातर लोग बिना मास्क के एक दूसरे से चिपक कर खड़े हुए नजर आएंगे। मंदिरों में 5-5 श्रद्धालुओं को भेजने का एक नाटक चल रहा है जबकि बाहर भीड़ का रेला देखने को मिल रहा है। सरकारी अस्पतालों में टेस्टिंग करने वाले कर्मचारियों के पास पीपी किट तक उपलब्ध नहीं है। ज्यादातर कर्मचारी बिना संसाधनों के मरीजों के टेस्ट कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा की जा रही इस तरह की लापरवाही के भयंकर परिणाम भुगतने पड सकते हैं। हो सकता है प्रशासनिक अधिकारियों को कोरोना बम फूटने के बाद होश आए। जिले के ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। उसके बावजूद भी शहर में सैनिटाइजेशन न करवाना, मास्क पहनने के लिए सख्ती न करना एक बड़ी लापरवाही के रूप में निकल कर आ रही है। कोरोना हेल्प डेस्क के फोन नहीं उठते। अस्पतालों में कुछ लोग अपनी रिपोर्ट के लिए परेशान हो रहे है।
हरिद्वार के कुंभ मेला क्षेत्र से लौट कर आने वाले यात्रियों, साधु-संतों और टेंट, लाइट, माइक आदि का कार्य करने वाले लोगों की बिना टेस्टिंग के शहर में प्रवेश कराना शहर वासियों के लिए अत्यधिक घातक हो सकता है। अभी तक प्रशासनिक अधिकारियों ने कुंभ मेला क्षेत्र में खालसा लगाने वालों का डाटा तक एकत्रित नहीं किया है। इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट जवाहर लाल श्रीवास्तव से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह डाटा एकत्रित कराना संभव नहीं है। देखा जाए तो उनका इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। लगभग 100 से 150 खालसा मथुरा वृंदावन के लोगों के द्वारा हरिद्वार में लगाए गए हैं जिसमे में साधु, सन्यासी, महामंडलेश्वर, गैर सरकारी संगठन एवं तमाम संस्थाओं के द्वारा हरिद्वार में अपने-अपने कैंप लगाए गए हैं। अब हरिद्वार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिसके डर के कारण वहां से लोग लौट कर अपने स्थानों को आ रहे हैं। अब यही लोग अपने जिले में कोरोना का प्रसार करेंगे। अगर अभी इन लोगों पर विराम नहीं लगाया गया तो पूरे जिले को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। और अंत में संपूर्ण लॉकडाउन के अलावा इसका कुछ भी इलाज नहीं है। 5 दिन के बाद भी कोरोना की टेस्टिंग रिपोर्ट नहीं आ पा रही है।
श्री धाम वृंदावन में अभी भी कई बड़े-बड़े आयोजन चल रहे हैं जिनमें सैकड़ों की संख्या में लोगों का हुजूम देखने को मिल रहा है बिना किसी परमिशन के इन आयोजनों को वे धड़ल्ले से आयोजित करना जिले की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। निश्चित रूप से प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इस तरह के आयोजन होना असंभव है। तमाम भागवत लाइव चल रही है जिसमें साफ साफ नजर आ रहा है कि सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु बैठे हैं उसके बावजूद भी प्रशासन का इस ओर ध्यान ना देना इस बीमारी को निमंत्रण देने के बराबर है। जल्द ही प्रशासन द्वारा इन सभी बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
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