मथुरा। बीएसए कॉलेज के गणित विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. सतपाल चौधरी पर औटा (आगरा विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) के संविधान का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। हाल ही में हुए औटा चुनाव में डॉ. सत्यपाल चौधरी ने 225 वोटों से कार्यकारिणी सदस्य पद पर जीत दर्ज की थी। लेकिन, औटा चुनाव के एक महीने के भीतर ही उन्होंने बीएसए कॉलेज शिक्षक संघ इकाई में महामंत्री पद के लिए नामांकन भर दिया और औटा के पद का दुरुपयोग करते हुए एक ही नामांकन होने की वजह से निर्विरोध चयनित हो गए।
औटा के संविधान के अनुसार संविधान की धारा 13 (पदाधिकारी की शक्तियां एवं दायित्व) स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि कोई शिक्षक औटा के पद के अलावा किसी अन्य शिक्षक संघ इकाई का पद धारण करता है, तो उसे औटा के पद से स्वतः मुक्त माना जाएगा।
बीएसए कॉलेज के विधि विभाग में कार्यरत प्रो. डॉ. बी.पी. राय ने औटा के अध्यक्ष प्रो. डॉ. पुष्पेंद्र सिंह और महामंत्री प्रो. डॉ. संजय मिश्रा को इस मामले में कई बार लिखित शिकायत दी। शिकायत में डॉ. राय ने औटा संविधान का हवाला देते हुए डॉ. सतपाल चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की लेकिन औटा नेतृत्व ने कार्रवाई का आश्वासन देने के बावजूद अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। डॉ. राय का कहना है कि औटा के संविधान का पालन न करने से संगठन की गरिमा और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो औटा द्वारा लिए गए सभी निर्णय असंवैधानिक/ विधि विरूद्ध/शून्य माने जाएंगे।
इस घटनाक्रम से शिक्षक समुदाय में नाराजगी बढ़ रही है। कई शिक्षकों का मानना है कि औटा नेतृत्व द्वारा डॉ. सतपाल चौधरी पर कार्रवाई न करना संगठन के संविधान और नियमों की अनदेखी है। इस मामले ने बीएसए कॉलेज और औटा दोनों के भीतर विवाद को जन्म दिया है। शिक्षकों का कहना है कि यदि संविधान का पालन नहीं किया गया तो संगठन की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
अब यह देखना होगा कि औटा नेतृत्व इस मामले में कब तक कार्रवाई करता है और संगठन की गरिमा को बहाल करने के लिए क्या कदम उठाता है।