अरुण ठाकुर
छाता( राजपथ मथुरा ब्यूरो) धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों के द्वारा ही लोगों की जान जोखिम में डालने का मामला प्रकाश में आया है। ऐसे में जब कोविड-19 नामक आपदा से दुनियां हलकान है। इस बीमारी से बचाने के लिए चिकित्सकों द्वारा अपनी जान पर खेल कर लोगों को इस समस्या से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उस कोरोना वायरस को लेकर जनपद में एक चिकित्सा कर्मी ऐसा भी है जो आमजन को इस बीमारी से बचाना तो दूर स्वयं ही इस वायरस का वाहक बनकर लोगों की जान से खिलबाड करने पर अमादा है।
वाक्या छाता सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का बताया जा रहा है। जहां तैनात डॉ. ललित और वार्ड बॉय चंद्रेश की 24 मार्च को हुई कोविड जांच रिर्पोट पॉजिटिव पाई गयी थी। जिसके आधार पर उन्हें 14 दिन के लिए होम आइसोलाइट किया गया। उनको बार-बार चेतावनी दी गई कि बिना मास्क के ना घूमें। जो भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है उसे 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन या फिर उसे किसी अस्पताल में इलाज के लिए रखा जाने का नियम है। इस दौरान पॉजिटिव पाये जाने वाले को ना तो किसी परिजन से मिलवाया जाता है और ना ही किसी अन्य व्यक्ति से। कोरोना पॉजिटिव वाले मरीज को सभी से अलग रखा जाता है लेकिन एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसे देखकर आप के पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक जाएगी।
छाता के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात उक्त चिकित्सा कर्मियों में से डॉ. ललित को 6 दिन होने पर ही बिना मास्क लगाए हॉस्पिटल में मरीजों की एमएलसी करते हुए देखा गया। एक तरफ डॉक्टर लोगों को कोरोना से बचाव के संदेश दे रहे हैं वहीं खुद सभी नियम ताक पर रखकर ये चिकित्सक काम कर रहे हैं।
इस विषय में जब छाता एमओआईसी डॉ. शशि रंजन से बात की गई तब उन्होंने बताया कि आज उनकी नेगेटिव रिपोर्ट आई है उस आधार पर उन्हें अभी रेस्ट पर रखा गया है। उनसे हॉस्पिटल में अभी काम करने से मना किया हुआ है अगर ऐसा पाया जाता है। तो उनके विरुद्ध कार्यवाही की गई जाएगी अब देखना होगा कि इस मामले को आखिर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र या जिला प्रशासन द्वारा कितनी गंभीरता से लिया जाता है।
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