आये दिन दुर्घटना का शिकार हो रहे बाईक सवार राहगीर, व्यापारी नेता का युवा पुत्र हुआ गंभीर घायल
मनीष शर्मा
गोवर्धन। गिरिराज परिक्रमा मार्ग में वाहनो के प्रवेश को रोकने को लगाई गई लोहे की चैन स्थानीय नागरिको के लिये जानलेवा साबित हो रही है। आये दिन वाइक सवार व ई-रिक्शा चालक इनकी चपेट मे आकर घायल हो रहे है वही वाइक सवारो की तो जान पर बन आयी है। बता दे कि एनजीटी द्वारा गोवर्धन परिक्रमा मार्ग मे वडे वाहनो के प्रवेश पर पावंदी लगाने के आदेश जिला प्रशासन को दिये थे। प्रशासन ने भी आनन फानन में वाहनो को रोकने के लिये परिक्रमा मार्ग में प्रवेश द्वारो पर एंगल लगा कर लोहे की चैन लगा दी जिससे वाइक सवारो को तो निकलने मे परेशानी होती ही है वही परिक्रमार्थी श्रद्धालुओ को भी चैनो के नीचे झुक कर या फिर चैन उठाकर निकलना पडता है। अभी हाल ही में आन्यौर परिक्रमा मार्ग में सेवाकुंज पर लगायी गयी लोहे की चैन और घातक सिद्ध हो रही है। स्थानीय वाइक सवार लोग जानकारी के अभाव में उक्त चैन से टकरा कर घायल हो रहे है। सोमवार को भी उक्त लोहे की चैन से टकराने से स्थानीय व्यापारी नेता का युवा पुत्र गंभीर हैड इंजरी का शिकार हो गया।
सोमवार शाम को आयुष खंडेलवाल पुत्र संजीव खंडेलवाल अपने चचेरे भाई आशीष के साथ स्कूटी से परिक्रमा मार्ग मे जा रहा था कि दोनो भाई लोहे की चैन से टकरा गये तथा चपेट में आ कर चैन पर लटक गये। जहां आयुष के चेहरे व सिर पर गंभीर चोटै आने के चलते उसको पहले मथुरा के निजी हास्पीटल में उसके बाद फरीदाबाद के मल्टी स्पेशियलटी हास्पीटल मे भर्ती करवाया गया जहा उसके चेहरे व सिर का आपरेशन किया गया है। आशीष खंडेलवाल के भी चोटै आई है। यह इन लोहे की चैनो का एक मात्र उदाहरण नही है। 27 मार्च को परिक्रमा मार्ग के नगला सेहू निवासी बाबू व उनकी पत्नी भी मोटर साइकिल से निकलते समय लोहे की चैन की चपेट मे आकर गिर गये। लोहे की चैन बाबू के गले पर लगने से उनकी आवाज भी प्रभावित हो गयी वही दोनो पति पत्नी के शरीर पर भी चोट लगी। इसी दिन आन्यौर निवासी ई रिक्शा चालक सोनू ठाकुर भी चैन की चपेट में आकर घायल हो गया तथा गले पर चोट लगी। जनवरी 2019 में तो इन लोहे की चैन की चपेट मे आकर कस्वा के व्यवसाई शीतल अग्रवाल के युवा पुत्र आयुष अग्रवाल के गले पर ऐसी गहरी चोट लगी कि इस युवा की आवाज आज तक नही लौट सकी है। लोहे की चैनो से आये दिन हो रही घटनाओ से स्थानीय लोगो मे रोष व्याप्त है। लोगो का कहना है कि एनजीटी की आड में प्रशासनिक लापरवाही के चलते स्थानीय राहगीरो को परेशानी उठानी पड रही है। यह प्रशासनिक विफलता का उदाहरण है कि लोहे की चैनो से गोवर्धन क्षेत्र को जकड कर रख दिया गया है।
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