नई दिल्ली । बिहार में दूसरे चरण के मतदान वाली 122 सीटों के लिए भाजपा अपने चुनाव प्रबंधन को और मजबूत करेगी। जिन नेताओं के क्षेत्र में मतदान संपन्न हो जाएगा वे दूसरे चरण के तहत आने वाली सीटों पर पहले से मौजूद चुनाव प्रबंधकों की मदद करेंगे। पार्टी ने पूरे राज्य में दूसरे प्रदेशों से आए विभिन्न नेताओं को प्रबंधन का काम सौंपा हुआ है। राज्य में पहले चरण के मतदान में कांटे का मुकाबला रहने की संभावना है। हालांकि, एनडीए के नेताओं को इस बार के समीकरणों में पहले से ज्यादा सफलता मिलने की उम्मीद है। इन 121 सीटों में अभी एनडीए के पास 62 और महागठबंधन के पास 59 सीटें हैं।
दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होगा जो बिहार के सीमावर्ती जिलों की सीटें हैं। इनमें सीमांचल भी शामिल है, जहां भाजपा इस बार ध्रुवीकरण में पहले से ज्यादा सफलता की उम्मीद कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा भी किया है कि सीमांचल के नतीजे बदलाव वाले होंगे। सूत्रों के अनुसार भाजपा ने दूसरे चरण की सीटों के लिए पहले से ज्यादा सघन अभियान की रणनीति बनाई है। इन क्षेत्रों में मौजूदा चुनाव प्रबंधकों के साथ आखिरी के पांच दिनों में राज्य के अन्य प्रमुख नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को लगाया जाएगा। जिन क्षेत्रों में मतदान हो चुका होगा वहां के प्रमुख कार्यकर्ताओं को आराम करने के बजाय दूसरे चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में भेजा जाएगा। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि पहले चरण के मतदान की समीक्षा तो होगी ही, लेकिन पहले से ही दूसरे चरण की रणनीति भी तैयार है। सूत्रों का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्र होने से यहां पर पड़ोसी राज्यों के कार्यकर्ता ज्यादा बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं की संलिप्तता जरूरी है। जो प्रमुख कार्यकर्ता पहले चरण का मतदान देख चुके हैं, वह स्थिति को ज्यादा बेहतर समझेंगे और उनकी उपस्थिति और ज्यादा मजबूती देगी। दरअसल, अभी तक के जो आकलन हैं उनमें एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन पार्टी विपक्ष को कमजोर नहीं मानती है, इसलिए वह आखिरी सीट तक किसी तरह की ढील नहीं बरतना चाहती है। पार्टी के एक नेता ने कहा है कि राजनीति में जब ज्यादा अच्छा दिखता है, तब ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
















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