आश्विन माह की अमावस्या 21 सितंबर रविवार को खंड ग्रास सूर्य ग्रहण भारत के अलावा विश्व के अनेक देशों में दिखाई देगा। इससे पूर्व भाद्रपद पूर्णिमा को खग्रास चन्द्र ग्रहण सम्पूर्ण भारत वर्ष में दिखाई दिया था। पन्द्रह दिन के अन्तराल में दो ग्रहणों का होना देश दुनिया के लिए अत्यन्त ही हानिकारक है। इस सम्बन्ध में दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि आश्विन अमावस्या को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र शुक्ल योग कन्या राशि के चंद्रमा में यह ग्रहण रात्रि 10 बजकर 59 मिनट से प्रारम्भ होकर रात्रि 03 बजकर 29 मिनट तक लगभग 04 घण्टे तक रहेगा। यह खंड ग्रास सूर्य ग्रहण न्यूजीलैंड,फिजी, आस्ट्रेलिया के दक्षिण भाग तथा अंटार्कटिका आदि कुछ देशों में दिखाई देगा भारत में इस ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और सूतक भी नहीं लगेगा।
आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने बताया कि श्राद्धपक्ष का प्रारंभ चन्द्रग्रहण से हुआ है और समापन सूर्यग्रहण से होगा पंद्रह दिन के अन्तराल में दो ग्रहणों का होना देश दुनिया में उथल-पुथल व दैवीय आपदाओं और राजनीतिक हलचल पैदा करने वाला होगा। उन्होंने बताया कि 21 सितंबर रविवार को होने वाले सूर्य ग्रहण का भारत वर्ष में प्रभाव नहीं पड़ेगा पितृ विसर्जनी अमावस्या के श्राद्ध यथावत होंगे भारत में अदृश्य होने के कारण इसका सूतक भी नहीं लगेगा।
इस सम्बन्ध में ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक चतुर्वेदी, साहित्याचार्य शरद चतुर्वेदी, सौरभ शास्त्री, पंकज ज्योतिषाचार्य,ऋषभ देव, गोविंद देव, मनोज पाठक, निरंजन शास्त्री मनीष पाठक आदि विद्वानों ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आश्विन अमावस्या को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जा रहा है अतः देश दुनिया में शान्ति बनी रहे इसके लिए धार्मिक अनुष्ठान,यज्ञ हवन पूजन,दान धर्म करते रहें। नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ करें जिससे घर परिवार समाज और देश में सुख समृद्धि और शांति बनी रहे।

















Views Today : 14499