मथुरा। राधा अष्टमी पर राधारानी की क्रीड़ास्थली बरसाना राधे राधे के प्रतिध्वनि से उस समय गूंज उठा। 17 ड्रोन से लाडली मन्दिर की सफेद छतरी में सिंहासन पर विराजमान राधारानी के ऊपर फूलों की वर्षा की गयी ।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बरसाना में लाड़ली मन्दिर की छतरी और राधारानी के डोला पर हेलीकाॅप्टर से फूलों की वर्षा होनी थी किंतु खराब मौसम के कारण हेलीकाप्टर बरसाना में नही उड़ सका जिसके कारण ड्रोन से ही पुष्प वर्षा करनी पड़ी ।
इस अनूठे दृश्य को देखकर भक्त नृत्य कर उठे तथा एक दूसरे को बधाई देने लगे। गोस्वामी समाज के कुछ लोगों के नेत्र तो भावपूर्ण भक्ति में सजल हो गए। इसके बाद गाजे बाजे और शंखध्वनि के बीच राधारानी का डोला मन्दिर के गर्भगृह की ओर रवाना हुआ तथा जैसे ही डोला मन्दिर के जगमोहन के नजदीक पहुंचा राधारानी का आरता (विशेष आरती जो पुजारी की कन्या द्वारा वर्ष में तीन बार की जाती है) किया गया तथा राधारानी को गर्भगृह में विराजमान किया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेष कुमार पाण्डे ने बताया कि राधारानी की कृपा से आज कहीं पर कोई अप्रिय घटना नही घटी जब कि देश के विभिन्न भागों से आए लाखों लोगों ने बिना किसी खास असुविधा के राधारानी के दर्शन कर स्वयं को धन्य किया ।
मन्दिर के सेवायत आचार्य रासबिहारी गोस्वामी ने बताया कि इससे पहले आज ब्रह्म महूर्त में पहले राधारानी की मूल शांति हुई तथा इसके बाद 51 कुंतल दूध,दही, घी, बूरा, खंडसारी तथा 11 प्रकार की औषधियों के मिश्रण से राधारानी का अभिषेक वैदिक मंत्रों के मध्य किया गया और राधारानी को पोशाक धारण कराकर बेशकीमती 31 लाख के आभूषण धारण कराए गए । इसके बाद आरती हुई तथा लाखों लोगों ने बारी बारी से ब्रज की राजेश्वरी के दर्शन व पूजन कर स्वयं को धन्य किया। लाखों श्रद्धालुओं ने गहवरवन की परिक्रमा भी की जिसे राधारानी की क्रीड़ास्थली माना जाता है।
वृन्दावन के राधाबल्लभ मन्दिर में गोस्वामियों का बिजली की फुर्ती की तरह दधिकाना हुआ जिसमें गोस्वामी समाज एक गोले में एक प्रकार का नृत्य करते हुए ’’राधा प्यारी ने जन्म लियो है कुंवर किशोरी ने जन्म लियो है’’ का गायन कर रहा था । मन्दिर के तिलकायत मोहित मराल गोस्वामी ने बताया कि जिस समय गोस्वामी समाज का दधिकाना हो रहा था उनके ऊपर हल्दी मिश्रित दही की अनवरत वर्षा मन्दिर के जगमोहन से हो रही थी। लगभग आधा घंटे के बाद राधारानी के जयकारों से मन्दिर का प्रांगण गूंज उठा और दधिकाना समाप्त हुआ।
राधारानी की जन्मस्थली रावल के राधारानी मन्दिर में हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह अभिषेक के दर्शन एवं प्रसाद ग्रहण कर स्वयं को धन्य किया। द्वारकाधीश मन्दिर श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित केशव देव मन्दिर, प्राचीन केशव देव मन्दिर समेत ब्रज के अन्य मन्दिरों में राधारानी का अभिषेक कर भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया और कुछ मन्दिरों में कीर्तन का भी आयोजन किया गया। कुल मिलकार ब्रज का कोना कोना राधा भक्ति के प्रवाह से राधामय हो गया है।