अयोध्या । अयोध्या में भगवान प्रभुश्रीराम के मंदिर में 20 किलो सोना,13 किलो चांदी दान में मिली है। 5 अगस्ते 2020 को राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद से अब तक मंदिर को उपरोक्त दान मिला है। इसके अलावा ब्यााज के तौर पर खाते में 204 करोड़ रुपये भी आ चुके हैं। मणिराम छावनी में हुई श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में इसकी जानकारी दी गई। बैठक में वित्तीय वर्ष 2023 और 2024 का लेखा-जोखा पेश किया गया। इसमें बताया गया कि मंदिर के बचे निर्माण के लिए 850 करोड़ रुपये की धनराशि और खर्च होगी, जबकि मंदिर निर्माण में अब तक 540 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके अलावा अन्यह सुविधाओं व व्यवस्थाओं के लिए 776 करोड़ रुपये का खर्च आया है।
मंदिर के वित्तीय विवरण की जानकारी मंदिर ट्रस्टो के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पिछले 4 सालों में दान में मिले सोने-चांदी की भेंट का भी ब्यो रा पेश किया गया। चंपत राय ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में ट्रस्ट के काउंटर पर जाकर लोगों ने 53 करोड़ रुपये चेक या कैश धन दिया। मंदिर के दान पत्र में 24 करोड़ 50 लाख रुपया आया है। 71 करोड़ रुपये ऑनलाइन के माध्यम से लोगों ने ट्रस्ट के खाते में जमा किया है। उन्हों ने बताया कि मंदिर ट्रस्टक ने नियमानुसार पिछले साल अपना पंजीकरण विदेशी मुद्रा प्राप्त करने के लिए करवाया। इसमें मार्च 2024 तक 10 करोड़ 43 लाख रुपये प्राप्त हुए है। मंदिर ट्रस्टक के खाते में जमा धनराशि पर लगभग 204 करोड़ रुपया ब्या़ज मिला है। चंपत राय ने बताया कि बीते 4 वर्षों में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 13 क्विंटल चांदी और 20 किलो सोना प्राप्त हुआ है। सोने-चांदी की जांच की जिम्मेषदारी भारत सरकार की संस्था मिंट को सौंपी गई है। इसको मिंट के हैदराबाद स्थित टकसाल में गलाने का काम सितंबर में ट्रस्टज के दो सदस्योंो के सामने किया जाएगा। मिंट को पहले चरण में 9.44 क्विंटल चांदी जांच के लिए दी गई है। मंदिर निर्माण समिति की बैठक में अयोध्या पहुंचे समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर वर्तमान में श्रमिकों की संख्या और उत्पादकता कम है। जो हमारे लिए चिंता का विषय है। ऐसे में निर्धारित समय सीमा मे मंदिर के दूसरे तल व शिखर का निर्माण चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि हमारा लक्ष्य दिसंबर 2024 तक मंदिर को पूरा करने का है, जिसमें अब केवल 4 महीने ही बचे हैं। उन्होंने कहा इतने ही समय में हमें मंदिर का निर्माण करना है।