नई दिल्ली । बजट पेश होने के बाद संसद की कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने बुधवार को यहां संसद भवन के बाहर मकर द्वार के पास बजट को जन विरोधी बताते हुए प्रदर्शन किया।
विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कई दलों के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया और सरकार विरोधी नारे लगाए।
प्रदर्शनकारी विपक्षी सांसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। सबके हाथों में नारे लिखी हुई तख्तियां थीं और उनका कहना था कि बजट जन विरोधी है तथा उसमें जनता की भावनाओं का ध्यान नहीं रख कर चंद पूंजीपतियों के हितों को साधने का काम हुआ है।
कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में केंद्रीय बजट 2024-25 में सभी राज्यों के लिए प्रावधान नहीं करने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने शून्य काल के दौरान कहा कि कल संसद में पेश केंद्रीय बजट में केवल दो राज्यों को छोड़कर अन्य राज्य को कुछ नहीं मिला है। उन्होंने विभिन्न राज्यों के नाम गिनाते हुए कहा कि इन का विकास प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि बजट केवल कुर्सी बचाने के लिए है और पूरी तरह से नकारात्मक है।
उनकी पार्टी इस बजट की घोर निंदा करती है। इसके साथ ही सदन में विपक्ष के सदस्य शोर शराबा करने लगे।
इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विपक्ष के नेता के आरोप का जवाब देने के लिए खड़ी हुई तो कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि बजट भाषण में सभी राज्यों का नाम लेना संभव नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लिए केंद्रीय बजट में किए गए प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि सभी राज्यों के लिए आवश्यक और नियमित प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में बधावन बंदरगाह के लिए 76 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के लिए भी योजनाओं और कार्यक्रमों के नामों का उल्लेख किया।