मथुरा । दुनिया भर में ‘द क्राइंग एलीफैंट’ या “रोते हुए हाथी’ के नाम से प्रसिद्ध हाथी ‘राजू’, जो वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल में रहता है, पिछले 10 साल से भारत में हाथी संरक्षण के लिए आशा का प्रतीक रहा है। राजू के अतीत एवं रेस्क्यू की कहानी विश्व भर में वायरल होने के साथ-साथ, लोगों पर भी एक बड़ी छाप छोड़ गयी।राजू की आज़ादी के एक दशक को चिह्नित करते हुए वाइल्डलाइफ एसओएस, हाथी कल्याण के मुद्दों पर उसके प्रभाव को अंकित करता है।
मथुरा के हाथी अस्पताल में रहने वाला 60 वर्षीय हाथी ‘राजू’, हाथियों के कल्याण और संरक्षण के लिए एक आधारशिला रहा है। राजू के शोषण के बारे में जागरूकता ने ही 10 वर्ष पूर्व भारत में हाथियों की देखभाल के तरीकों में महत्वपूर्ण मोड़ पैदा किये। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई महत्वपूर्ण विकासशील निर्णय हुए हैं जो भारत में हाथियों के लिए बदलते परिदृश्य को दर्शाते हैं।
जब राजू 2014 में वाइल्डलाइफ एसओएस में पहुंचा, तो भारत में सर्कस में लगभग 70 हाथियों के सक्रिय होने का अनुमान था। आज, सर्कस में प्रदर्शन करने वाले सभी जानवरों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और इसमें हाथी भी शामिल हैं। राजू के बचाव के समय, हाथियों को दिल्ली की सड़कों पर घूमते देखा गया था, जिन्हें शादी-समारोहों और जुलूसों के लिए किराए पर लिया जाता था। पांच साल बाद, 2019 तक, सभी हाथियों को राजधानी दिल्ली से हटा दिया गया और आखिरी हाथी, जैस्मीन को, वाइल्डलाइफ एसओएस में लाया गया।
राजू के रेस्क्यू एवं संरक्षण से पर्यटकों की हठी पर सवारी और हाथियों से जुड़े दुर्व्यवहार की गंभीर वास्तविकता को उजागर करने में भी मदद मिली। इसके साथ, वाइल्डलाइफ एसओएस अपने अभियान ‘रिफ्यूज टू राइड’ के संदेश को मजबूत करने में सक्षम हुआ। वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा,“एक दशक पहले रेस्क्यू के दौरान राजू की आँखों से बहते आँसुओं की तस्वीर अभी भी हमारी यादों में ताज़ा है। 10 साल बाद, राजू अब एक परिवार के सदस्य जैसा है, जिसे सभी स्टाफ,केयरटेकर से लेकर, चिकित्सकों और यहां तक कि मेहमानों तक ने बेहद प्यार दिया है।“
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा,“यह शब्दों में बयां करना आसान नहीं है कि राजू की कहानी और रेस्क्यू ने विश्वभर में इतने सारे लोगों को कैसे छुआ। मुझे लगता है कि 2014 में यह पहली बार था जब एक बंदी हाथी की पीड़ा दुनिया के सामने इतनी स्पष्ट रूप से सामने आई थी, और चूंकि राजू एक भावनात्मक हाथी था, लोगों के दिल तक पहुँचने में उसे ज़्यादा समय नहीं लगा। ऐसे तेजस्वी प्राणी को नुकीली जंजीरों से झुकेऔर अनगिनत अंकुश घावों को सहते हुए देखना वास्तव में दिल दहला देने वाला दृश्य था।“
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजुराज एम.वी ने बताया,“राजू के रेस्क्यू ने दर्शाया कि संकटग्रस्त हाथियों की देखभाल का हमारा मिशन एक वास्तविक और व्यावहारिक वादा है। इससे पता चला कि हमने ऑपरेशन में अपना सब कुछ झोंक दिया। प्रत्येक हाथी जो ऐसी स्थितियों से गुज़रकर हमारे पास आता है वह शारीरिक चोटों के साथ-साथ मानसिक एवं भावनात्मक चोटें भी साथ लाता है। राजू को हर प्रकार से मदद करना हमारे लिए एक अविश्वसनीय भावनात्मक यात्रा थी।“