मथुरा । सिने जगत से राजनीति में आईं मथुरा की सांसद हेमामालिनी की जीत की पटकथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिख दी थी। हेमामालिनी के टिकट मिलने के बाद जिस प्रकार से योगी ने एक पखवारे से कम समय में मथुरा में दो बार आकर एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह से कार्य किया। प्रबुद्धजन सम्मेलन के माध्यम से पहले यहां की ’’क्रीम’’ को मान सम्मान देकर उन्हें इस महायज्ञ में अपनी आहुति देने के लिए प्रेरित किया तथा जिस प्रकार से उन्होंने भाजपाइयों में जोश भरने का पहले प्रयास किया उसका असर ठंढ़ा पड़ता कि उन्होंने एक जनसभा के माध्यम से आम नागरिको, बुद्धजीवियों एवं पार्टी के लोगों में जोश भरने की कोशिश की उसका असर सामान्य जनता पर बहुत अधिक तब और पड़ा जब योगी के भाषणों से जनता को यह पता लगा कि मथुरा के विकास के लिए उ0प्र0 ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन हेमा के बार बार ब्रज के विकास के लिए अनुरोध करने पर ही हुआ था।
येागी ने इसी क्रम में जनता को यह भी बताया कि हेमा के अनुरोध पर ही ब्रज के प्रमुख धार्मिकस्थलों को तीर्थस्थलों घोषित किया गया था। उनका यह बताना यमुना भक्तों को छू गया कि हेमा के संसद में यमुना के प्रदूषणमुक्त करने के प्रश्न करने के बाद ही गंगा और यमुना को स्वच्छ रखने के लिए नमामि गंगे योजना की शुरूवात हुई थी जिसमें गंगा निर्मल हो गईं और अब यमुना की बारी है।
उत्तर प्रदेश के चीनी मिल एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मीनारायण चैधरी ने कहा कि वैसे तो योगी मथुरा में मुख्यमंत्री रहते 42 बार आ चुके हैं तथा हर बार उन्होंने यहां के विकास का ताना बाना बुना किंतु इसमें दो राय नही है कि चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद योगी के लगातार दो बार मथुरा आने और ब्रजवासियों को हेमामालिनी के द्वारा बताए गए काम बताने का भारी असरा हेमा की जीत पर पड़ा।
उन्होंने तो यहां तक कहा कि वैसे हेमामालिनी द्वारा मथुरा के विकास में रूचि लेने के कारण उनकी लोकप्रियता का ग्राफ 2014 से 2024 तक कभी कम नही हुआ। उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में छाता विधान सभा क्षेत्र से उन्हें जितने मत मिले थे उसी के आसपास इस बार लोकसभा चुनाव में हेमा को मिले। उनका यह भी कहना था कि इन सबसे ऊपर मोदी की लोकप्रियता ने भी असर दिखाया।
हेमा ने भी पार्टी हाईकमान्ड विशेषकर मोदी जी को निराश नही किया क्योंकि 75 वर्ष की आयु पूरी हो जाने के कारण यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार मथुरा से हेमा चुनाव नही लड़ेंगी। ऐसा इसलिए सोचा जा रहा था कि मोदी ने एक नियम बनाया था कि जो 75 वर्ष से अधिक आयु का होगा उसे टिकट नही दिया जाएगा। इसीलिए पत्रकार भी हेमा से प्रश्न कर रहे थे कि मथुरा से कौन चुनाव लड़ेगा किंतु हेमा को भरोसा था कि कान्हा की गोपी को टिकट जरूर मिलेगा। उन्होंने पत्रकारों के सवाल के जवाब में यह भी कह दिया था कि वे मथुरा के अलावा किसी अन्य लोकसभा सीट से चुनाव नही लड़ेंगी। यदि भाजपा हाईकमान्ड ने उन्हें टिकट दिया तो उन्होंने भी रेकार्ड मतो से मथुरा लोकसभा की सीट जीतकर पार्टी की झोली में डाल दिया। व्रज चैरासी कोस परिक्रमा के जीर्णोद्धार के लिए केन्द्र सरकार से 5 हजार करोड़ की धनराशि जब से हेमा ने स्वीकृत कराई थी तब से ब्रजवासी विशेषकर धार्मिकता में रंगे लोग उनके मुरीद हो गए थे।उनकी ईमानदारी पर कोई दाग न लगने और किसी भी विवाद से दूर रहने एवं सभी से समान व्यवहार करने का फायदा भी उन्हें मिला।
अब हेमा के सामने उन वायदों को पूरा करने की है जिनकी घोषण उन्होंने अपने प्रचार के दौरान की थी। अगर अपने द्वारा किये गए वायदों को हेमा पूरा करा देने में सफल होती हैं तो उनकी विजय की हैट्रिक ब्रजवासियों के लिए यादगार बन जाएगी।