मथुरा। कान्हा की जन्मस्थली मथुरा अपने आप में एक अलौकिक तीर्थ स्थल है। यहाँ स्थान स्थान पर योगिराज प्रभु श्रीकृष्ण ने तरह तरह की लीलाए कर समाज को प्रेम सद्भाव के सन्देश दिए है।
ब्रज भूमि में मांट स्थित भांडीर वन एक मात्र ऐसा स्थल है जहां श्रीराधा कृष्ण का स्वरूप दंपत्ति के रूप में विराजमान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने यहां श्रीराधा कृष्ण का विवाह कराया था। भगवान श्री कृष्ण की इस अदभुत लीला से जुड़े भांडीर वन के रूप में यह स्थल मांट के निकट स्थित है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। जिसका सौंदर्यीकरण उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा कराया गया है। इसमें प्राचीन कूप, चाहर दीवारी, सोलर लाइट, प्रवेश द्वार, योगशाला, जनसुविधा केंद्र और यात्रियों के बैठने सहित अन्य सुविधाएं व विकास कार्य किए हैं। इसके निकट ही श्रीकृष्ण की लीला का एक और स्थल वंशीवट भी है। भंडारा शब्द भी यही से प्रचलित हुआ है। कहते है प्रभु श्रीकृष्ण ने अपने समय में भंडारा कराया था तभी से इस स्थान का नाम भांडीर वन तो पड़ा ही साथ ही सामूहिक सर्वजन लिए भंडारे की प्रथा प्रारंभ हुईं जो आज भी ब्रज सहित समूचे संसार में चलन में है। मथुरा वृंदावन आये तो एक बार अवश्य ही भांडीर वन जरूर जाए। यहाँ अभी भी वो पेड़ मौजूद है जिसके नीचे ब्रम्हाजी ने राधा श्रीकृष्ण का विवाह कराया था।
पहुंचने का रास्ता…
जिला मुख्यालय मथुरा से भांडीर वन की दूरी करीब 28 किलो मीटर है। मथुरा से वृंदावन के रास्ते मांट पहुंचना होता है। यहां से नौहझील रोड पर करीब एक किलो मीटर दूर गांव छाहरी मौजूद है, जहां से करीब 800 मीटर की दूर पर भांडीर वन है। यमुना एक्सप्रेस वे के रास्ते मथुरा पहुंचने वालों को भी वृंदावन कट से मांट द्वारा भांडीर वन पहुंचना होता है।