नई दिल्ली । भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सख्त कदम उठाए हैं और गलत टोल कटौती के मामलों में भारी कमी दर्ज की है। फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है, जो गाड़ी के फ्रंट शीशे पर लगाया जाता है और आपके प्रीपेड वॉलेट से जुड़ा होता है। जब वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है, तो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी)तकनीक के अपने आप भुगतान हो जाता है। एनपीसीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2024 में फास्टैग लेनदेन 6 फीसदी बढ़कर 38.2 करोड़ हो गए, जबकि इसका कुल मूल्य 9 फीसदी बढ़कर 6,642 करोड़ रुपए हो गया।
कई बार टोल ऑपरेटर वाहन का गलत नंबर दर्ज कर देते हैं। जब फास्टैग ठीक से स्कैन नहीं करता तो ऑपरेटर मैन्युअल रूप से एंट्री करता है, जिससे गलत कटौती हो जाती है। स्कैनर में तकनीकी दिक्कत या सिस्टम एरर के कारण भी यह समस्या आती है। गलत टोल कटौती के मामलों पर हाईवे ने सख्ती बरती है। कम से कम 250 मामलों में टोल ऑपरेटरों को दंडित किया है। टोल प्रबंधन इकाई ने 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया। इस सख्ती से 70 फीसदी तक मामलों में कमी आई और अब हर महीने 50 शिकायतें मिल रही हैं।
सरकार ने फास्टैग को लेकर नए नियम लागू किए हैं जिसमें अगर फास्टैग में लो बैलेंस है या भुगतान में देरी होती है, तो अतिरिक्त शुल्क देना होगा। टोल से गुजरने के 10 मिनट बाद तक फास्टैग सक्रिय नहीं रहा, तो लेनदेन अस्वीकार हो जाएगा। टोल पार करने के 15 मिनट बाद भुगतान होने पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है। बैंकों और डिजिटल वॉलेट्स से फास्टैग खरीदा जा सकता है। टोल प्लाजा और पेट्रोल पंप पर भी फास्टैग उपलब्ध होते हैं। इसे समय-समय पर रिचार्ज करना जरूरी है। एनएचएआई की कड़ी निगरानी और सख्त जुर्माने से गलत फास्टैग कटौती के मामले कम हुए हैं, लेकिन अगर आपके साथ यह समस्या हो, तो शिकायत दर्ज कराकर पैसे वापस लिए सकते हैं।