कहावत है कि पूरा विश्व ही एक कुटुम्ब जैसा है। यह दौर शांति, स्थिरता और सहयोग का है, लिहाजा युद्ध की गुंजाइश नगण्य है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने तमाम मान्यताओं को झुठला दिया है। बेशक विश्व-युद्ध न छिड़ा हो, लेकिन आसार हररोज वैसे ही बनते रहे हैं। जिस तरह दुनिया की ताकतें विभाजित रही हैं, उसके मद्देनजर यह विश्व-युद्ध का ही एक रूप है। यह युद्ध जारी है, लेकिन बीते 6 माह के दौरान इजरायल और हमास की हुकूमत वाली गाजा पट्टी में लगभग नरसंहार जारी रहा है। करीब 35,000 मासूम लोगों की हत्या कर दी गई। असंख्य घायलों के कुचले-मसले चेहरे बेहद पीड़ादायक हैं और हवाई हमलों ने जो विध्वंस किए हैं, न जाने उनका पुनर्निर्माण कब होगा? हालांकि सतही तौर पर युद्ध-विराम कराया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठकों में नरसंहार पर विराम लगाने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं, लेकिन इजरायल अपनी बेलगाम आक्रामकता से बाज नहीं आता और संघर्ष-विराम पर वह अपनी मनमर्जी के फैसले लेता रहा है। चूंकि इजरायल-हमास युद्ध के दौरान ईरान, यमन, लेबनान, कतर आदि देश फलस्तीनियों के घोर समर्थक रहे थे, लिहाजा अब ऐसी नौबत आ गई है कि इजरायल और ईरान के दरमियान युद्ध जैसा तनाव उभर आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान कभी भी इजरायल पर हमला बोल सकता है। यह तनाव इतना बढ़ गया है कि एक ही दिन में अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को तुर्किये, चीन, सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से बातचीत करनी पड़ी। यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ता है, तो वह किसी के हित में नहीं होगा। अमरीका ने ईरान को सचेत किया है कि वह हमला न करे।
ईरान के साथ अमरीका का तनाव काफी पुराना है, जाहिर है कि ईरान अमरीका के परामर्श को भाव न दे। दरअसल सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया गया था। हालांकि इजरायल ने उन आरोपों को खारिज किया था। उस हमले में ‘इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉप्र्स’ के वरिष्ठ सदस्य मारे गए थे, लिहाजा ईरान पर दबाव रहा है कि वह अपने जांबाजों की मौत का बदला ले। यदि ईरान बदला लेता है, तो अरब दुनिया में एक नया युद्ध छिड़ जाएगा। यदि युद्ध का विस्तार होता है, तो भारत के 1.1 लाख करोड़ रुपए के कारोबार पर संकट छा सकता है। ईरान के साथ भारत का 20,800 करोड़ रुपए का कारोबार है। भारत चाय, कॉफी और चीनी ईरान को निर्यात करता है। ईरान से हमने पेट्रोलियम कोक, नट्स और एसाइक्लिक एल्कोहल समेत अन्य चीजों का करीब 5500 करोड़ रुपए का आयात किया। ईरान की चाबहार बंदरगाह और उससे लगे चाबहार स्पेशल इंडस्ट्रियल जोन में भी भारत साझेदार है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में इजरायल के साथ भारत ने करीब 89,000 करोड़ रुपए का कारोबार किया था। इसमें से करीब 70,000 करोड़ रुपए का निर्यात शामिल था। कारोबार के अलावा, इजरायली सरकार ने घोषणा की थी कि मजदूरों की कमी से निपटने और निर्माण उद्योग की सहायता के लिए 6000 से अधिक भारतीय श्रमिक अप्रैल-मई में इजरायल आएंगे। युद्ध के आसार बनने के कारण भारत सरकार को परामर्श जारी करना पड़ा है कि भारतीय ईरान और इजरायल की यात्रा न करें। ईरान में करीब 4000 भारतीय रहते हैं और इजरायल में 18,500 के करीब प्रवासी भारतीय बसे हुए हैं। असमंजस के इन हालात में भारत सरकार क्या करेगी? युद्ध की आशंका के कारण कच्चा तेल 85 डॉलर से महंगा होकर 90 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। नीदरलैंड ने तेहरान में अपना दूतावास बंद कर दिया है। ऑस्टे्रलिया ने पर्थ से लंदन जाने वाली उड़ानों का रूट बदल दिया है। भारत ने भी ईरान हवाई क्षेत्र से गुजरने वाली उड़ानों के रास्ते बदल दिए हैं। हालात युद्ध जैसे बन चुके हैं। हमास और हिजबुल्ला सरीखे निर्मम, खूंख्वार आतंकी संगठनों के पक्ष में ईरान की भूमिका को सराहा नहीं जा सकता। इजरायल और उसके पक्ष में अमरीका की जंगी तैयारियों की भी प्रशंसा नहीं की जा सकती। कारोबार और आपूर्तियां बाधित होंगी, तो यह नया युद्ध भी निंदनीय है।