लखनऊ l सोशल मीडिया और विभिन्न समाचार पत्रों में रेलवे द्वारा लखनऊ में चूहे पकड़ने पर 70 लाख रुपए खर्च करने की खबर ने रेलवे मंत्रालय में सनसनी फैला दी जब इस खबर की रेलवे द्वारा जांच कराई गई तो पता चला कि चूहे पकड़ने पर ही नहीं स्प्रे और फागिंग आदि पर यह खर्च व्यय हुआ है। रेलवे ने लखनऊ में चूहे पकड़ने के लिए खर्च कर दिए 70 लाख रुपये वाली न्यूज़ को तथ्यों से परे तथा भ्रामक बताया है ।
इस संबंध में उत्तर रेलवे के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी दीपक कुमार ने जानकारी दी है कि लखनऊ मंडल पर पेस्ट एंड रोडेंट कंट्रोल का कार्य, मेसर्स सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन, गोमती नगर द्वारा किया जा रहा है जो कि भारत सरकार का एक उपक्रम है। इसके द्वारा संपादित कार्य में ट्रेन के डिब्बों, रखरखाव लाइनओ पर स्प्रे और फॉगिंग इत्यादि के द्वारा मच्छर /मक्खि /कोकरोच/चूहों आदि के ना आ पाने के रोकथाम कार्य किए जा रहा है। इस प्रकार इसे चूहे पकड़ने के स्थान पर निवारक उपाय कहना उचित होगा l इस निवारक उपाय में औसतन 25,000 कोचों /वार्षिक पर लगभग 94 रुपये प्रति कोच खर्च आता है जिसकी तुलना मच्छर /मक्खि /कोकरोच/चूहों आदि द्वारा फ़ैलने वाली संभावित खतरनाक बीमारियों /जोखिम से नहीं की जा सकती है तथा उससे कम ही है। उनका कहना है की केवल चूहे पकड़ने पर 70 लाख रु व्यय होने की बात सरासर अनुचित है।