मथुरा। वर्तमान दौर में लोगों में डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही है इसका सबसे बड़ा कारण अव्यवस्थित दिनचर्या और खराब खानपान है। डायबिटीज यानि मधुमेह स्वयं तो बीमारी है ही साथ ही अन्य बीमारियों की आवक भी है। डायबिटीज के साथ दिल की बीमारी, आखों की रोशनी कम होने, फेफड़े में संक्रमण, दिमाग की नमों में समस्या, खून की नसों का प्रवाह रुकने और गुर्दे की बीमारियां भी हो रही हैं। समाज में सबसे बड़ी बीमारी आज के दौर में मधुमेह को कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
यह बीमारी हर आयु वर्ग के लोगों को हो रही है। क्या महिलाएं, क्या युवा, यहां तक कि बच्चे भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं। यही कारण है कि समाज में डायबिटीज से बचाव संबंधित जागरूकता जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखकर वर्ल्ड डायबिटीज फाउंडेशन व पहल फाउंडेशन की ओर से शुक्रवार को मसानी रोड स्थित होटल ब्रजवासी लैंड्स इन में ‘डायबिटीज से डरना नहीं’ विषय पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया। विशेषज्ञ डाक्टरों के पैनल में वरिष्ठ फिजीशियन डा़ आशीष गोपाल, मेडिसिन नेफ्रोलाजिस्ट आशीष शर्मा, डा़ अनिल कुमार चौहान, डा़ संजय सूद केएम मेडिकल के प्रो़ मेडिसिन डा़ जेपी उपाध्याय और डा़ मनीष बंसल ने इस बीमारी के कारणों और बचाव पर चर्चा की। डाक्टरों ने लोगों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि इंसुलिन को उपचार के दौरान बीच में न छोड़ें। यह अभिशाप नहीं, वरदान है। इंसुलिन डायबिटीज नियंत्रण के साथ अन्य अंगों को प्रभावित होने से बचाती है।
क्या बोले चिकित्सक
डायबिटीज बीमारी में दवाओं से पहले खुराक, शारीरिक श्रम और तनाव के बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है कि तनाव से बिल्कुल दूर रहा जाए। साथ ही शारीरिक श्रम होता रहेगा शुगन की मात्रा भी कम रहेगी। शुगर लेवल पर लगातार नजर रखें। प्री-डायबिटिक से डायबिटीज में जाने से रोकना जरूरी है। शुगर बढ़़ने पर शरीर में बनने वाला इंसुलिन अप्रभावी हो जाता है। कुछ समय बाद इंसुलिन बनना कम हो जाता है।
– डा़ जेपी उपाध्याय प्रोफेसर मेडिसिन
मोटापा और वजन नियंत्रण जरूरी
आज के दौर में लोगों की खराब जीवनशैली डायबिटीज की बीमारी बढ़ने का प्रमुख कारण है। लोग सुबह-शाम टहलते नहीं हैं। व्यायाम बहुत कम हो गया है। लोग शारीरिक श्रम के बजाय सुविधाओं का ज्यादा प्रयोग करते हैं। इसके अलावा लोग खाने में हरी सब्जियां, फाइबर डाइट नहीं लेते। जंक फूड ज्यादा लेते हैं। जिससे मोटापा व वजन बढ़ रहा है। जो डायबिटीज का कारण बन रहा है। इसलिए मोटापे और वजन पर नियंत्रण जरूरी है।
– डा़ आशीष गोपाल, वरिष्ठ फिजीशियन
मीठा खाने और फलों को लेकर है भ्रम
अधिकांश लोगों को खाने-पीने में मीठे को लेकर भ्रम होता है। जैसे कई लोग गुड़ को शुगर के लिए जिम्मेदार नहीं मानते लेकिन मीठा तो मीठा है। इसलिए गुड़ से भी शुगर हो सकती है। यहां तक फलों का सवाल है तो केला और सेब जैसे फलों के सेवन से शुगर कम होती है लेकिन अंगूर आदि रसदार फलों से शुगर ज्यादा होती है। डायबिटीज में नियमित दवा के अलावा खुराक और व्यायाम बहुत जरूरी है। तनाव से दूर रहना होगा।
– डा़ संजय सूद, फिजीशियन
युवाओं को भी है बीमारी का खतरा
युवाओं की जीवनशैली बदल गई है। व्यायाम खत्म हो रहा है। खानपान खराब हो गया है। जबकि युवा फास्टफूड खाने में रुचि दिखाते हैं।। इसके अलावा मोबाइल चलाने के कारण देर रात सोने वालों में डायबिटीज का खतरा अधिक है। इसलिए सोना बहुत जरूरी है। अधिकांश युवा देर रात सोते हैं। युवाओं में तनाव अधिक है। बचाव के लिए युवाओं को जल्दी सोना है। सुबह-शाम व्यायाम को अपनाएं। मोबाइल पर जरूरत के समय ही रहें।
– डॉ मनीष बंसल, फिजीशियन
बिना सलाह न लेंं दवाइयां
डायबिटीज में जब शुगर बढ़ती है तो किडनी पर असर होता है। इसी कारण अन्य बीमारियां पनपती हैं। अधिकांश लोग जांच कराने से बचते हैं। उनको लगता है कि शुगर की जांच कराने जाएंगे, तो कहीं अन्य बीमारियां न लग जाएं। इसी कारण किडनी संक्रमित हो जाती है। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात है कि कभी भी दवाइयां स्वयं न लें। कभी-कभी तो लोग गूगल सर्च करके ही दवाइयां लेना शुरु कर देते हैं, जो उनके लिए नुकसान देह होता है। डा़ आशीष शर्मा
– लक्षणों को लेकर नहीं हो पाती पहचान
कभी-कभी डायबिटीज के लक्षण किसी मरीज में नहीं दिखाई देते। इससे कभी कभी पता ही नहीं लगता कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं, जब तक कि उसकी जांच न करा ली जाए। हालांकि इस बीमारी में पिंडलियों में दर्द, थकान, वजन कम होने, घाव के न भरने और जननांगों में खुजली होने जैसे लक्षण आम तौर पर सामने आते हैं। डायबिटीज की बीमारी से बचाव को नियमित जीवनशैली और बेहतर खानपान को बेहतर रखना जरूरी है।
-डा़ अनिल चौहान, फिजीशियन