कैसी विडंबना है कि आज भैया दूज क़े दिन 12 बजे जम्मू क़े डोडा में एक बस क़े 300फुट गहरी खाई में गिरने से 36 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 19 लोग घायल हो गए। भैया दूज क़े दिन हुए इस हादसे में बहनों ने अपने भाई खो दिए। पल भर में लाशों क़े ढेर लग गए लोग चिथड़ों में बदल गए चारों तरफ लाशें बिखर गई। यह हादसा अमिट ज़ख्म दे गया। यह अभागी बस किस्तवाड़ से जम्मू जा रही थी प्रतिवर्ष सड़क सुरक्षा हेतू करोडों रुपया बहाया जाता है। मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात ही निकलता है अगर सही तरीके से पैसा खर्चा किया जाए तो देश में घटित होने वाले इन भीषण हादसों पर विराम लग सकता है मगर ऐसा नहीं हो रहा है हर वर्ष लाखों लोग मारे जा रहे है। देश में बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए समय रहते संज्ञान लेना होगा। 1जनवरी 2023 से लेकर 15 नवंबर 2023 तक ग्यारह महिनों में हजारों सड़क हादसे हो चुके है। वर्ष 2023के पहले सप्ताह से ही लोग सड़क हादसों में मारे जा रहें है। हर रोज देश में मौत का तांडव हो रहा है। देश में हर रोज इतने भीषण हादसे हो रहे है कि पूरे के पूरे परिवार मौत की नीद सो रहे हैं। प्रतिदिन हादसों में लोग मारे जा रह हैे। लाशों को अग्नि देने वाले भी नहीं बच रहे है। 11 जनवरी से 17 जनवरी 2023 तक पूरे भारतवर्ष में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। मगर ऐसे आयोजन औपचारिकता भर रह गए हैं। क्योकि प्रशासन द्वारा लोगों को इन सात दिनों में यातायात नियमों के बारे में बताया जाता है फिर पूरा वर्ष लोग अपनी मनमानी करते है और यातयात नियमों का उल्लंघन करते है ओैेर मौत के मुंह में समाते जा रहेहै। देश में हर चार मिनट में एक व्यक्ति सड़क हादसे में मारा जाता है प्रतिदिन देश की सडकें रक्तरजित हो रही है नौजवानों से लेकर बुजुर्ग काल का ग्रास बन रहे हैं। आंकडें बताते है कि सड़क दुर्घटनाओं में भारत अन्य देशों से शीर्ष पर हैं। शराब पीकर बाहन चलाना ही हादसों का मुख्य कारण माना जा रहा है। इसके कारण ही लाखो लोग सड़क हादसों में मौत का शिकार हुए। हादसों की सूची बढती ही जा रही है। आंकड़े बहुत ही डरावने हैँ 26 अप्रैल 2018को कुशीनगर में चालक की घोर लापरवाही से हुए एक हादसे में कई घरों के चिराग चिरनिद्रा में सो गए थे। 9 अप्रैल 2018 को एक भीषण हादसा कांगड़ा के नूरपुर के चेली में घटित हुआ था जहां एक निजि स्कूल की बस के खाई में गिरने से 26 बच्चो समेत 30की मौत हो गई थी। अधिकतर बच्चे नर्सरी में पढ़ने वाले थे इस हादसे में मरने वालों में बस का चालक, एक शिक्षक व एक युवती शामिल थे। एक तेज रफतार मोटर साईकल सवार को बचाने के चलते यह हादसा सामने आया। हादसा इतना भंयकर था कि 24 बच्चो ने घटनास्थल पर ही दम तोड दिया था कुछ माह पहले एक भीषण हादसा पशिचिमी बंगाल में हुआ था मुर्शिदाबाद जिले के इस्माइलपुर में एक सरकारी बस के नदी में गिरने से 36 यात्रियों की मौत हो गई थी। यह बस नदी पर बनी रेलिग तोड़कर नदी में जा गिरी। 9यात्रियों ने तैर कर अपनी जान बचा ली तथा 9 लोग घायल हो गए। बस में 60 यात्री सफर कर रहे थे। यह दर्दनाक हादसा सुबह छह बजे के करीब हुआ। यात्रीयों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि यह उनका आखिरी सफर होगा। लापरवाही के कारण हजारों सड़क हादसे हो रहे है सडक हादसे अभिशाप बनते जा रहे हैं। पिछले दिनों पंजाब में एक जीप व ट्रक की आपसी टक्कर में दर्जनों स्कूली अध्याापक बेमौत मारे गए थे। बीते साल 2022 में भी सड़क हादसों का सिलसिला पूरी साल अनवरत चलता रहा और लोग लाखो लोग हादसों का शिकार होते रहे। हजारों लोग अपंग हो गए ताउम्र हादसों का दंश झेलते रहेगे। 2023 में भी सडक हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं तथा प्रतिदिन दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढता ही जा रहा है इसे सरकारों की लापरवाहीे की संज्ञा देना गलत नहीं होगा। ज्यादातर सड़क हादसे सर्दियों में होते है क्योकि धंुध के कारण आपसी टक्कर में दुर्घटनाएं होती हैं। देश की सड़को पर लाशों के चिथड़े बिखर रहे हैं। पंजाब, दिल्ली व उतरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में दर्जनों हादसों में सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। मगर राज्यांे की सरकारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। देश के प्रत्येक राज्यों में हादसों की दर बढती जा रही है दुर्घटना के बाद मुआवजे की राशि बांटने में व समाचार पत्रों में सुखिर्यों में रहने में प्रशासन व नेता लोग आगे रहते हैं नेताओं द्वारा घड़ि़याली आंसू बहाए जातें है। सड़क हादसों को रोकने के लिए एक नीति बनानी होगी। जागरुकता अभियान चलाने होगें। सरकारों को लोगों को यातयात नियमों से संबधित शिविरों का आयोजन करना चाहिए। आज करोडों के हिसाब से वाहन पंजीकृत है मगर सही ढंग से वाहन चलाने वालो की संख्या कम है क्योकि आधे से ज्यादा लोगों को यातयात के नियमों का ज्ञान तक नहीं होता। पुलिस प्रशासन चालान काटकर अपना कर्तव्य निभा रहे है मगर चालान इसका हल नहीं है इसका स्थायी समाधान ढूंढना होगा। बिना हैलमैट के नाबालिग से लेकर अधेड़ उम्र के लोग वाहनो को हवा में चलाते है और दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। जानबूझकर व नशे की हालत में दुर्घटना करने वाले चालकों के लाईसैस रदद करने चाहिए। ज्यादातर हादसे में नाबालिग चालक ही मारे जाते हैं। प्रशासन की लापरवाही के कारण भी इसमें साफ झलकती है आज ज्यादातर युवा व लोग शराब पीकर व अन्य प्रकार का नशा करकेेे वाहन चलाते है नतीजन खुद ही मौत को दावत देते हैं भले ही पुलिस यन्त्रों के माध्यम से शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस रही है मगर फिर भी लोग नियमों का उल्लघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राज्यों की सरकारों द्वारा पुलिस को दी गई हाईवे पैट्रोलिंग की गाड़ियां भी यातायात को कम करने में नाकाम साबित हो रही हैं। बढती सड़क दुर्घटनाओें के अनेक कारण है सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत हादसे मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं। लापरवाह लोग सीट बैल्ट तक नहीं लगाते और तेज रफतार में वाहन चलाते हैं। देश में सड़क हादसों में स्कूली बच्चों के मारे जाने के हादसे भी समय-समय पर होते रहते हैं मगर कुछ दिन चैक रखा जाता है फिर वही परिपाटी चलती रहती है। जबकि होना तो यह चाहिए कि इन लापरवाह चालको को सजा देनी चाहिए ताकि मासूम बेमोत न मारे जा सके। अक्सर देखा गया है कि वाहन चालकों के पास प्राथमिक चिकित्सा बाकस तक नहीं होतें ताकि आपातकालिन स्थिती में प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करवाई जा सके। प्रत्येक साल नवरात्रों में श्रध्दालू मंदिरों में ट्रको में जाते है और गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तथा मारे जाते हैं। ओबरलोडिग से भी ज्यादातर हादसे होते हैं। बेलगाम हो रहे यातायात पर लगाम लगाना सरकार व प्रशासन का कर्तव्य है लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का स्थायी हल हो सकता है यदि लोग सही तरीके से यातायात नियमों का पालन करते है तो सड़को पर हो रहे मौत के तांडव को रोका जा सकता है। लापरवाही के कारण देश में दुर्घटनाओं का कहर बरपता रहेगा। मावन जीवन को बचाना होगा क्योकि मानव जीवन दुर्लभ है। केन्द्र सरकार को इस पर गौर करना होगा तथा देश में बढ रही सड़क दुर्घटनाओ पर रोक के लिए कारगर कदम उठाने होगें नहीं तो देश के प्रत्येक महानगरों व शहरों से लेकर गांवों तक हर रोज लाशें बिछती रहेगी लोग मरते रहेंगें। सरकार को इन हादसों से सबक लेना चाहिए और व्यवस्था की खामियों को दूर करना चाहिए। सरकारों को अपना दायित्व निभाना चाहिए ताकि सड़क हादसों पर पूरी तरह रोक लग सके। यदि सरकारे ऐसे ही सोती रहेगी तो देश की सड़कें मानव खून से लाल होती रहेगी। वक्त अभी संभलने का है।
-नरेन्द्र भारती-
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार)