नई दिल्ली । भारत का गैर-चमड़ा फुटवियर उद्योग विदेशी निवेश के एक नए अवसर की ओर बढ़ रहा है। ताइवान और वियतनाम की प्रमुख कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश को इच्छुक हैं। चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के एक अधिकारी ने बताया कि इन देशों की कंपनियां भारत में उत्पादन इकाइयां स्थापित करना चाहती हैं, लेकिन इसके लिए सरकार से नीति और लॉजिस्टिक सहयोग जरूरी होगा। इन कंपनियों को चीन से सोल, सांचे, मशीनरी और कपड़े जैसे उत्पाद आयात करने पड़ते हैं। ऐसे में भारत सरकार को इनके आयात को सुगम बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। अधिकारी ने बताया कि भारत का फुटवियर निर्यात 2024-25 में 5.75 अरब डॉलर रहा और 2025-26 तक इसे 7 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। अमेरिका इस क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार है, जहां 20 फीसदी भारतीय निर्यात जाता है, इसके बाद ब्रिटेन (11 फीसदी) और जर्मनी आते हैं।
उन्होंने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की वकालत करते हुए कहा कि वर्तमान 18.5 फीसदी शुल्क को कम कर बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने सरकार से फुटवियर क्षेत्र के लिए केंद्रित उत्पाद योजना शुरू करने की मांग भी की। ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तमिलनाडु में पहले ही कुछ ताइवानी कंपनियां निवेश कर चुकी हैं और उत्तर प्रदेश-बिहार जैसे राज्यों में किफायती श्रम बल को देखते हुए यहां भी निवेश की भारी संभावना है। विदेशी तकनीक के सहयोग से घरेलू उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।