फरह। सनातन कभी खत्म नहीं हो सकता, सनातन को खत्म करने की साजिशों से हमें सजग रहना है। जैसे प्रसाद के लड्डूओं में मिलावट करके सनातनी संस्कृति पर आघात किया जा रहा है। मगर फिर भी सनातन को कोई मिटा नहीं सकता। दीनदयाल मेले के प्रथम दिन सद्भावना सम्मेलन में बोलते हुये संत एवं उत्तराखण्ड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि हम सभी को सद्भावना की जरुरत है। इजराइल, यूक्रेन में लडाई हो रही है हथियार खरीदे जा रहे हैं मगर इससे किसी का भला नहीं होगा। हमें पूरे संसार को सद्भावना के रास्ते पर लाना पडेगा। स्वामी विवेकानन्द का जिक्र करते हुये कहा कि उन्होनें अमेरिका के लोगों को अपना बनाते हुये उनको भाइयों बहिनों कहकर सम्बोधित किया था। हमारे महापुरुषों ने भी देश के साथ पूरे विश्व में सद्भावना का पाठ पढाया।
उन्होंने कहा कि सद्भावना अध्यात्म से ही आती है और अध्यात्म हमें प्रेम और भक्ति से मिलेगा। हमारी लगन मजबूत हो तो हमें परमात्मा की प्राप्ति होगी। राम और शबरी का चरित्र भी प्रेम का ही प्रतीक है। पहले हमें खुद को बदलना पडेगा तब ये दुनिया बदलेगी। भारत की संस्कृति का प्रभाव कम्बोडिया, बाली, सिंगापुर आदि विदेशों में भी देखने को मिलता है। अध्यात्म को सीखने के लिये हमें अध्यात्म के शिक्षक के पास जना पडेगा। सतपाल महाराज ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्ममानववाद हमें सद्भावना का ही संदेश देता है। परखम में बन रहे गौ अनुसंधान केन्द्र के लिये उन्होंने क्षेत्र प्रचार प्रमुख महेन्द्र शर्मा के प्रयासों को जमकर सराहा। इस दौरान उनके प्रवचनों को सुनने के लिये आसपास के जनपदों की भारी भीड उमडी, पाण्डल उनके समर्थकों और अनुयायियों से खचाखच भरा था। इससे पूर्व उन्होंने स्मारक जाकर पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पार्चन किया। पत्रकारों से बात करते कहा कि पं. दीनदयाल जी से बहुत अच्छा मार्गदर्शन किया है। हमें उनसे प्रेरणा मिल रही है। अन्तोदय में उनका बहुत बडा योगदान था। हम उनके सिद्धान्तो को जन जन का पहुंचाने का प्रयास करेंगे।