अलीगढ। वैश्विक शांति एवं सनातन धर्म प्रचार प्रसार हेतु वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में धार्मिक एवं सौंदर्य से परिपूर्ण सतोपंथ यात्रा के लिए बद्रीनाथ मंदिर से जयकारों के साथ जत्था रवाना हुआ।
बुधवार को उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ मंदिर से वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज के सानिध्य में 15 सदस्यीय जत्थे ने सर्व प्रथम बद्री विशाल भगवान का आशीर्वाद लिया उसके बाद मंदिर के मुख्य रावल से भेंट कर महा प्रसाद लिया। अपनी यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने सतोपंथ से जुडी जानकारी देते हुए कहा कि भारत के उत्तराखंड का पांडवों से आदिकालीन सम्बन्ध रहा है,पांडवों ने अपना अज्ञातवास उत्तराखंड में ही बिताया था। वहीं, युद्ध के बाद ब्रह्म हत्या के लिए केदारनाथ आकर प्रायश्चित किया था और संतोपंथ झील से ही अपने स्वर्ग की यात्रा शुरू की थी। उन्होंने बताया कि सत्य के रास्ते को ही सतोपंथ कहते हैं।महाभारत के अनुसार पांडवों ने स्वर्ग जाने के रास्ते में इसी पड़ाव पर स्नान और ध्यान लगाया था। इसके बाद ही उन्होंने आगे का सफर तय किया था। लेकिन स्वर्ग की ओर बढ़ने पर पांडवों में केवल युद्धिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग पहुंचे थे। इसी स्थान पर धर्मराज युधिष्ठिर के लिए स्वर्ग तक जाने के लिए आकाशीय वाहन आया था।
सतोपंथ स्थित झील के विषय में स्वामी जी ने कहा कि पौराणिक मान्यता अनुसार एकादशी के दिन झील के तीनों कोनो में ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने स्नान किया था। सतोपंथ यात्रा में आचार्य गौरव शास्त्री, स्वामी अदृश्यानन्द, तेजवीर सिंह, राहुल सिंह, शिव प्रकाश अग्रवाल,उमेश ठाकुर, नवीन चौधरी, कुश उपाध्याय, शिवम शर्मा, माधव शर्मा, शक्ति सिंह, भोलू ठाकुर,सौरभ आदि रवाना हुए।