पंडित अमित भारद्वाज
लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण चंद्रवंशी अर्थात चंद्रदेव के वंशज हैं। चंद्रमा का पुत्र बुध है, श्रीकृष्ण को चंद्र वंश में पुत्रवत जन्म लेना था इस कारण बुधवार में जन्मे। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है । श्रीकृष्ण सर्वशक्ति संपन्न व स्वयम्भू है इसलिए अष्टमी तिथि को चुना । रोहिणी चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र व पत्नी है, इस कारण रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया। चंद्र देव को अभिलाषा थी कि नारायण जब मेरे वंश में जिस समय अवतार लें उस समय मैं उनका दर्शन कर सकूँ। इस अभिलाषा को पूर्ण करते हुए नारायण ने रात्रि बेला में कृष्ण रूप में अवतार लिया। श्रीमद्भागवत व अन्य पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जिस समय पृथ्वी पर नारायण ने कृष्ण अवतार लिया, उसी समय आकाश में चंद्रदेव उदय हुए व नारायण के अवतार को अपने कुल में हुए जन्म का दर्शन किया।
पौराणिक धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि कृष्ण जन्म के समय पृथ्वी से अंतरिक्ष तक वातावरण सकारात्मक हो गया था, प्रकृति अर्थात पेड़, पौधे पशु पक्षी हर्षित थी, सुर, मुनि, गंधर्व, किन्नर सभी प्रफुल्लित थे। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रभु श्रीकृष्ण ने योजनाबद्ध रूप से सुरम्य वातावरण में मथुरापुरी में जन्म लिया।