वॉशिंगटन । अमेरिका खुद के फायदे के लिए सामदाम दंडभेद की रणनीति पर चलता है। इसके लिए किसका क्या नुकसान होगा इससे वो वास्ता नहीं रखता। रुस के अमेरिका संबंध तल्ख है। दोनों देशों के राट्रपतियों की मुलाकात होना है। इससे पहले अमेरिका रुस बड़ा झटका दे दिया है। अमेरिका एक कॉरिडोर बनाएगा जो रुस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आर्मेनिया और अजरबैजान के नेताओं को एक मंच पर लाकर ऐतिहासिक शांति समझौता करवाया। इस समझौते से 35 साल पुरानी जंग खत्म हो गई है। इस समझौते से दक्षिण कॉकसस में दशकों से चले आ रहे तनाव को कम करने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन इस डील का सबसे चर्चित पहलू यह है कि अमेरिका को आर्मेनिया की जमीन से होकर एक नया ट्रांजिट कॉरिडोर विकसित करने का विशेष और दीर्घकालिक अधिकार मिल गया है। यह कॉरिडोर ट्रंप के नाम पर रखा जाएगा। इसका नाम टीआरआईपीपी ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रोसपेरिटी होगा। यह डील रूस के लिए झटका है, क्योंकि इससे उसका प्रभाव कम होगा। पुतिन और ट्रंप की 15 अगस्त को होने वाली मुलाकात से पहले यह एक बड़े झटके की तरह है।
यह रास्ता आर्मेनिया की जमीन पर बनेगा, लेकिन अमेरिका इसे लीज पर लेकर बनाएगा। ट्रम्प ने मजाक में कहा, ‘मैंने इसका नाम अपने लिए नहीं मांगा, ये तो सम्मान है!’ ट्रंप ने इसे ‘शांति के लिए बड़ी जीत’ बताया और दावा किया कि वर्षों से अटके मुद्दे को अब हल कर लिया गया है। यह डील ट्रंप के लिए इसलिए भी खास है, क्योंकि यह उनके ‘ग्लोबल शांतिदूत’ की छवि को और चमकाएगी। हाल ही में ट्रंप ने कंबोडिया और थाईलैंड के बीच भी सीजफायर करवाया था। कथित तौर पर उन्होंने धमकी दी थी कि अगर युद्ध नहीं रुका तो वह दोनों देशों से ट्रेड रोक देंगे। रूस को इस समझौते से झटका लगा है।
दरअसल दोनों देश सोवियत संघ से अलग हुए थे, इसलिए इनके ऊपर रूस का प्रभाव था। डील के कारण दोनों देशों ने 1992 में बने मिन्स्क ग्रुप को भंग करने की मांग का समर्थन किया, जो रूस, फ्रांस और अमेरिका की अगुवाई में दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करता था। रूस यूक्रेन युद्ध में उलझा है, इसलिए उसका इस इलाके में दबदबा कम हुआ है। ट्रंप ने इसका फायदा उठाया और अमेरिका को इस क्षेत्र में नया लीडर बना दिया।
आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने व्हाइट हाउस में ट्रम्प के साथ मिलकर इस समझौते को अंतिम रूप दिया। ‘ट्रम्प रूट’ आर्मेनिया के रास्ते अजरबैजान को उसके नखचिवान क्षेत्र से जोड़ेगा। इस 43 किलोमीटर के रास्ते में रेल, तेल-गैस पाइपलाइन और फाइबर ऑप्टिक लाइनें होंगी। अमेरिका को इस रास्ते को बनाने का विशेष अधिकार मिलेगा, और इसे प्राइवेट कंपनियां डेवलप करेंगी। ट्रंप ने गर्व से कहा, ‘कई नेताओं ने कोशिश की, मगर शांति सिर्फ हम ला सके।’ इस डील के बाद आर्मेनिया और अजरबैजान के नेताओं ने ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की है।