मथुरा। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि के एकादशी के दिन मनाए जाने वाला निर्जला एकादशी पर्व आज पूरे देश भर के साथ-साथ कान्हा की नगरी में भी उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय एवं बाहरी श्रद्धालुओं ने पवित्र यमुना नदी में डुबकी लगाकर मंदिरों में जाकर भगवान के श्री विग्रह के दर्शन कर अपने व परिवार के कल्याण की प्रार्थना की। बगैर जल का सेवन किए एकादशी के दिन इस व्रत को किए जाने की परंपरा रही है जिसे आज भी बड़ी संख्या में लोग निभाते हैं जिनमें महिलाओं की संख्या आज भी ज्यादा रहती है।
मंगलवार सुबह बृजवासियों ने स्नान ध्यान कर हनुमान जी की प्रार्थना के साथ-साथ श्री कृष्ण के नाम का भी भजन किया और मंदिरों में पहुंचकर भगवान के दर्शन कर पूर्ण कमाए वही दानदाताओं ने यह अवसर पर सुराही पंख खरबूजा सत्तू का दान भी किया। निर्जला एकादशी पर्व पर मीठे जल का भी दान किए जाने की परंपरा रही है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में आज कई स्थानों पर रूह अफजा व गुलाब जल की भीनी खुशबू से महक रहे मीठे जलो का भी वितरण किया गया। कई स्थानों पर इसका सेवन करने वालों की भीड़ भी देखी गई। आज सुबह मथुरा स्थित श्री द्वारकाधीश मंदिर केशव देव मंदिर वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर राधा बिहारी मंदिर राधासनेही मंदिर राधा विनोद मंदिर श्री कात्यानी देवी पीठ गोवर्धन स्थित गोवर्धन नाथ मंदिर गिर्राज मंदिर मुखारविंद मानसी गंगा गोकुल स्थित गोकुलनाथ मंदिर बलदेव विशेष ठाकुर बलदेव मंदिर आदि स्थानों पर स्थानीय व बाहरी श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।
महानगर के सिविल लाइन क्षेत्र स्थित ब्रज गंगा रेजीडेन्सी सोसायटी के मुख्य द्वार पर शीतल जल की प्याऊ लगाई गई जिसमें बड़ी संख्या में राहगीरों ने जल ग्रहण कर समाजसेवी कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद प्रदान किया। हरेंद्र शर्मा जय सिंह चौहान सुधीर अग्रवाल सतीश अग्रवाल रसना बैजल हितेंद्र सिंह चौधरी पूनम वर्मा मुकेश अग्रवाल मैनेजर आदि ने प्याऊ संचालन में सहयोग प्रदान किया।
एकादशी पर लोगों ने झेला भीषण गर्मी का दंश
भारी गर्मी गर्मी ने आज भी पूरे जनपद भर में सितम ढाए रखा । सुबह से ही सूर्य देव के तेवर चढ़ गए और 9 बज बजते बजते अपने पूर्ण वेग को धारण करते हुए मनुष्यों को उबालना शुरू कर दिया। 10 बजते ही पारा 42 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया जो दिन भर 43- 44 के करीब बना रहा जिसके चलते लोगों की आज भी हालत बुरी रही। उस पर आग में घी काम किया बिजली आपूर्ति ने जो बार-बार आती जाती रही। एकादशी पर्व पर लोगों को भीषण गर्मी का दंश झेलना पड़ा।