नई दिल्ली। कोरोना संक्रमित देश के मशहूर कवि कुंवर बेचैन सिंह का निधन हो गया है। साहित्य का एक और सूरज कोरोना के चलते अस्त हो गया। गुरुवार को कुंवर बेचैन का निधन हो गया, वह लंबे समय से संक्रमण से लड़ रहे थे। हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ था। मुरादाबाद से उनका विशेष लगाव था। चंदौसी के मेला गणेश चौथ और मुरादाबाद के जिगर मंच और कलेक्ट्रेट मैदान के कवि सम्मेलनों और मुशायरों में वह हर वर्ष आते थे। कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे।
बेचैन’ उनका तख़ल्लुस है असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है। बेचैन जी गाजियाबाद के एम.एम.एच. महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। उनका नाम सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में शुमार किया जाता था। उनके निधन को साहित्य जगत को एक बड़ी क्षति पहुंची है। व्यवहार से सहज, वाणी से मृदु इस रचानाकार को सुनना-पढ़ना अपने आप में अनोखा अनुभव है। उनकी रचनाएं सकारात्मकता से ओत-प्रोत हैं।
‘पिन बहुत सारे’, ‘भीतर साँकलः बाहर साँकल’, ‘उर्वशी हो तुम, झुलसो मत मोरपंख’, ‘एक दीप चौमुखी, नदी पसीने की’, ‘दिन दिवंगत हुए’, ‘ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने काँच के’, ‘महावर इंतज़ारों का’, ‘रस्सियाँ पानी की’, ‘पत्थर की बाँसुरी’, ‘दीवारों पर दस्तक ‘, ‘नाव बनता हुआ काग़ज़’, ‘आग पर कंदील’, जैसे उनके कई और गीत संग्रह हैं, ‘नदी तुम रुक क्यों गई’, ‘शब्दः एक लालटेन’, पाँचाली (महाकाव्य) कविता संग्रह हैं। उनके निधन पर उनकी समकालीन गीतकार डॉ. मधु चतुर्वेदी ने दुख प्रकट किया है।
उन्होंने कहा कि कुंवर जी का जाना बहुत दुखद है। हिंदी गीतों की वाचिक परंपरा के हस्ताक्षर के जाने से आए अवकाश को भरा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि लंदन के हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में दो भारतीय गीतकारों के सम्मान हुआ था। मेरा सौभाग्य है कि वह मैं और कुंवर जी थे। उनके साथ अनेक कार्यक्रम और यात्राएं की, जो अब यादों में हैं।
डॉ कुंवर बेचैन ग़ाज़ियाबाद के नेहरू नगर में रहते हैं। कोसमोस अस्पताल में एडमिट किए जाने के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था और उन्हें वेंटिलेटर बेड नहीं मिल पा रहा था। इस पर कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट किया था। कुमार विश्वास के ट्ववीट के बाद गौतमबुद्ध नगर के सांसद महेश शर्मा ने मदद की थी और उन्हें कैलाश अस्पताल में वेंटिलेटर मिल पाया था। कुंवर बेचैन की पत्नी अब भी सूर्या अस्पताल में भी भर्ती हैं।
कवि कुंवर बेचैन के निधन की जानकारी खुद कुमार विश्वास ने दी है। कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, ‘कोरोना से चल रहे युद्धक्षेत्र में भीषण दुःखद समाचार मिला है। मेरे कक्षा-गुरु, मेरे शोध आचार्य, मेरे चाचाजी, हिंदी गीत के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ कुँअर बेचैन ने अभी कुछ मिनट पहले ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान किया। कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया।