नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिन की बैठक के बाद रेपो रेट को मौजूदा दर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने 6, 7 और 8 अगस्त को हुई बैठक के में 4:2 के बहुमत से नीतिगत ब्याज दरों यानी रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। रेपो रेट में फरवरी 2023 से कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूपीआई के जरिये टैक्स पेमेंट की सीमा बढ़ाने की घोषणा की। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बताया कि यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। वर्तमान में, यूपीआई के लिए टैक्स पेमेंट की सीमा एक लाख रुपये है।
एमपीसी ने लगातार नौंवी बैंठक में रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। एमपीसी के फैसलों के एलान के बाद अब एक बात साफ हो गई कि आम आदमी को ऋणों की ईएमआई पर फिलहाल कोई राहत नहीं मिलने वाली है। एमपीसी के फैसलों की जानकारी देनते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता दिख रही है। हालांकि दुनियाभर में महंगाई में कमी आ रही है। सेंट्रल बैंक अर्थव्यवस्था की स्थिति के आधार पर ब्याज दरों पर फैसला ले रहे हैं। घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती कायम है। सर्विस सेक्टर का प्रदर्शन काफी बेहतर हुआ है। सेवा क्षेत्र और निर्माण क्षेत्र में मजबूती जारी है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में जीडीपी 7.2% बरकरार रहने का अनुमान है। मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक जो जून में हुई थी में भी एमपीसी के छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में मतदान किया था। जयंत वर्मा और आशिमा गोयल ने नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती और रुख में बदलाव के लिए मतदान किया था।
आरबीआई के अनुसार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोगकर्ता आधार 42.4 करोड़ हो गया है। हालांकि, उपयोगकर्ता आधार के और विस्तार की संभावना है। यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ शुरू करने का भी प्रस्ताव है। शक्तिकांत दास ने कहा कि ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ से एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते पर किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति मिलेगी।
इससे देशभर में डिजिटल भुगतान की पहुंच और उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस संबंध में भी विस्तृत निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगें। इसके साथ ही आरबीआई ने अनधिकृत कंपनियों की जांच के लिए डिजिटल लोन देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े तैयार करने का प्रस्ताव दिया है।