नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना’ की ऋण अवधि के पुनर्गठन और विस्तार को मंज़ूरी दी है। ऋण अवधि अब पिछले वर्ष 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च 2030 कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को आज मंजूरी दी। इस योजना का कुल परिव्यय 7,332 करोड़ रुपये है। पुनर्गठित योजना का लक्ष्य 50 लाख नए लाभार्थियों सहित 1.15 करोड़ लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाना है।
एक सरकारी बयान के अनुसार पुनर्गठित योजना की प्रमुख विशेषताओं में पहली और दूसरी किस्त में बढ़ी हुई ऋण राशि, दूसरा ऋण चुकाने वाले लाभार्थियों के लिए यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड का प्रावधान और खुदरा एवं थोक लेनदेन के लिए डिजिटल कैशबैक प्रोत्साहन शामिल हैं। इस योजना का दायरा वैधानिक शहरों से आगे बढ़कर जनगणना शहरों, अर्ध-शहरी क्षेत्रों आदि तक चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जा रहा है। उन्नत ऋण संरचना में पहली किस्त के ऋण को बढ़ाकर 15 हजार रुपये (10 हजार रुपये से) और दूसरी किस्त के ऋण को बढ़ाकर 25 हजार रुपये (20 हजार रुपये से) कर दिया गया है, जबकि तीसरी किस्त 50 हजार रुपये पर अपरिवर्तित रहेगी।
यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड की शुरुआत से रेहड़ी-पटरी वालों को किसी भी आकस्मिक व्यावसायिक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तुरंत ऋण उपलब्ध होगा। इसके अलावा, डिजिटल अपनाने को बढ़ावा देने के लिए, रेहड़ी-पटरी वाले खुदरा और थोक लेनदेन पर 16 सौ रुपये तक के कैशबैक प्रोत्साहन का लाभ उठा सकते हैं।
यह योजना उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कौशल और विपणन पर ध्यान केंद्रित करते हुए रेहड़ी-पटरी वालों की क्षमता निर्माण पर भी केंद्रित है। एफएसएसएआई के साथ साझेदारी में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए मानक स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान अभूतपूर्व कठिनाइयों का सामना करने वाले रेहड़ी-पटरी वालों की सहायता के लिए 1 जून 2020 को प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू की थी। हालांकि, इस योजना की शुरुआत से ही यह रेहड़ी-पटरी वालों के लिए वित्तीय सहायता से कहीं बढ़कर साबित हुई है और इसने उन्हें अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए एक पहचान और औपचारिक मान्यता प्रदान की है।
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना ने पहले ही महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर ली हैं। 30 जुलाई तक 68 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को 13,797 करोड़ रुपये के 96 लाख से अधिक ऋण वितरित किए जा चुके हैं। लगभग 47 लाख डिजिटल रूप से सक्रिय लाभार्थियों ने 6.09 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 557 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन किए हैं, जिससे उन्हें कुल 241 करोड़ रुपये का कैशबैक प्राप्त हुआ है। ‘स्वनिधि से समृद्धि’ पहल के अंतर्गत, 3,564 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के 46 लाख लाभार्थियों का प्रोफाइल तैयार किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप 1.38 करोड़ से अधिक योजनाओं को मंजूरी दी गई है।