आगरा। उत्तर प्रदेश में आगरा के बहुचर्चित पनवारी कांड में 34 साल बाद फैसला हुआ है। SC/ST स्पेशल कोर्ट ने मामले में 35 आरोपियों को दोषी मानते हुए 5-5 साल की सजा सुनाई है इस मामले में 16 आरोपी बरी हो चुके हैं और 3 अभी भी फरार हैं फरार मुजरिमों के खिलाफ अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिए हैं।
21 जून 1990 को आगरा के अकोला क्षेत्र के गांव पनवारी में उस वक्त जातीय हिंसा भड़क गई थी जब जाटव समाज की एक बेटी की बारात जाट समुदाय के घरों के सामने से गुजर रही थी बारात रोकने को लेकर शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते जातीय टकराव में बदल गया। गांव में हिंसा फैली, कई घर जला दिए गए और पूरे आगरा में तनाव फैल गया हालात इतने बिगड़े कि कर्फ्यू लगाना पड़ा।
घटना ने राजनीतिक रंग भी लिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आगरा आकर पीड़ितों से मुलाकात की थी जबकि स्थानीय सांसद और रेल राज्यमंत्री स्व. अजय सिंह ने भी दोनों पक्षों को शांत कराने की कोशिश की थी।
इस मामले में थाना कागारौल में 22 जून 1990 को तत्कालीन एसओ ओमवीर सिंह राणा ने 6000 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, मारपीट, आगजनी और SC/ST एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी।
मामले की सुनवाई आगरा की SC/ST कोर्ट में 34 साल तक चली। मुकदमे में कुल 80 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई जिनमें से 27 की मौत हो चुकी है, 31 गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज हुए, कोर्ट ने IPC की धारा 147, 148, 149, 323, 325, 452, 436, 427, 504, 395 और SC/ST एक्ट की धाराओं के तहत 36 आरोपियों को दोषी पाया। जेल भेजे गए लोगो के परिजनों का कहना है कि वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे।