नई दिल्ली । ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड्स को आधुनिक बनाने के बाद अब सरकार का ध्यान शहरी भूमि रिकॉर्ड्स को सुव्यवस्थि करने पर है, जो विखंडन, पुरानी जानकारी और कई एजेंसियों के रखरखाव के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह जानकारी रविवार को सरकार ने दी।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में शहरी भूमि रिकॉर्ड्स के सर्वेक्षण-पुनर्सर्वेक्षण में आधुनिक टेक्नोलॉजीज पर दो दिवसीय ग्लोबल वर्कशॉप का उद्घाटन करेंगे। वर्कशॉप में सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, यूके, स्पेन, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, अमेरिका, जापान और जर्मनी जैसे देशों के विशेषज्ञ जानकारियां देंगे, जो डिजिटल भूमि रिकॉर्ड के लिए दुनियाभर में अपनाई जाने वाली सबसे अच्छे प्रोसेस के बारे में बताएंगे।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक, यह पहल केंद्रीय बजट 2024-25 में डिजिटलीकरण और जीआईएस मैपिंग द्वारा शहरी भूमि रिकॉर्ड बनाकर/सुव्यवस्थित करके संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन, अपडेटिंग और कर प्रशासन के लिए एक आईटी-आधारित प्रणाली की स्थापना के संबंध में घोषणा पर आधारित है, जो कि शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधारने में भी मदद करेगी।
मंत्रालय ने कहा कि संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन के लिए आईटी-आधारित प्रणाली पारदर्शिता, दक्षता को बढ़ाएगी और सतत विकास का समर्थन करेगी और भूमि संबंधी विवादों को कम करेगी। पहल के एक भाग के रूप में, भूमि संसाधन विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में प्राप्त प्रगति के आधार पर शहरी भूमि रिकॉर्ड को आधुनिक बनाने के लिए नवीन तकनीकी सॉल्यूशंस की तलाश कर रहा है।
इस वर्कशॉप का उद्देश्य सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के संबंधित मंत्रालयों और विभागों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और टेक्नोलॉजी प्रदाताओं सहित प्रासंगिक पक्षकारों को एक साथ लाना है। भूमि संसाधन विभाग डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में भूमि रिकॉर्ड को आधुनिक बनाने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। इस योजना को 100 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा फंड किया जा रहा है।